गोयल ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, "ई-कॉमर्स की इस विशाल बढ़त के साथ क्या हम बड़ा भारी सामाजिक उथल-पुथल पैदा करने जा रहे हैं? मेरे लिए यह गर्व की बात नहीं कि हमारे बाजार का आधा हिस्सा आज से 10 साल बाद ई-कॉमर्स नेटवर्क का हिस्सा बन जाए, यह चिंता की बात है."
उनकी टिप्पणियां ऐसे समय आईं जब भारत में ई-कॉमर्स के कारोबार में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है. वित्त वर्ष 22 में अनुमानित 83 अरब डॉलर (करीब 7 लाख करोड़ रु.) के इस बाजार के वित्त वर्ष 26 तक 16 फीसद की सालाना चक्रवृद्धि दर से 150 अरब डॉलर (12.6 लाख करोड़ रु.) पर पहुंचने की उम्मीद है. यह बढ़ोतरी कई कारणों से होगीः बढ़ता मध्यम वर्ग, इंटरनेट की बढ़ती पैठ, स्मार्टफोन का विस्तार और यूपीआइ के बढ़ता भुगतान. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) और रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की इस साल प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिटेल बाजार 2023 में कुल करीब 820 अरब डॉलर (69 लाख करोड़ रु.) का होने का अनुमान था.
この記事は India Today Hindi の September 11, 2024 版に掲載されています。
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.