लखनऊ-वाराणसी हाइवे पर जौनपुर के सिंगरामऊ कस्बे से ठीक 20 किलोमीटर दूर एक संकरी सड़क बाईं ओर कटती है. दो किलोमीटर लंबी यह सड़क बक्शा थाने के अगरौरा गांव पहुंचती है जहां इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है. यह खामोशी उस वक्त टूटती है जब राजनैतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता ढूंढते हुए अगरौरा गांव के बीचोबीच मौजूद एक झोपड़ीनुमा घर पर पहुंचते हैं. ईंट और पतरे की दीवारों वाला यह अधबना मकान राकेश यादव का है जिनके 20 वर्षीय बेटे मंगेश यादव की 5 सितंबर की सुबह सुल्तानपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर मिसिरपुर पुरैना गांव में यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) से कथित मुठभेड़ में मौत हो गई. मंगेश की मां शीला देवी ने इकलौते बेटे के गम में चारपाई पकड़ ली है. भाई की मौत से टूट चुकी प्रिंसी मां को ढाढस बंधाने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन करुण रुदन ने माहौल को गमगीन कर दिया है.
यूपी का राजनैतिक ताप बढ़ाने वाले इस एनकाउंटर की पृष्ठभूमि 28 अगस्त को बनी जब पांच अज्ञात व्यक्तियों ने बंदूक की नोक पर सुल्तानपुर के ठठेरी बाजार इलाके में एक प्रसिद्ध सर्राफे की दुकान से लाखों रुपए के जेवर लूट ले गए. यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई, जिसने आदित्यनाथ सरकार के राज्य में सख्त कानून व्यवस्था के दावों पर सवाल खड़े कर दिए. इसी बीच पुलिस ने 2 और 3 सितंबर की आधी रात को करीब 3:40 बजे सुल्तानपुर के गोदावा क्षेत्र में एक इंटर कॉलेज के पास एक कथित मुठभेड़ में सर्राफा दुकान लूट के तीन आरोपियों के पैरों में गोली मारकर घायल कर दिया. पुलिस ने उनसे करीब 15 किलो चांदी के आभूषण बरामद करने का दावा किया. उनके मुताबिक, डकैती में 14 लोग शामिल थे, जिनकी पहचान 'मानव खुफिया और निगरानी तंत्र' के माध्यम से की गई. एक अन्य आरोपी विपिन सिंह, जिसके नाम पर दो दर्जन से अधिक मामले हैं, ने लूट की घटना के एक दिन बाद 29 अगस्त को रायबरेली की अदालत में पहले से दर्ज एक अन्य मामले में आत्मसमर्पण कर दिया. घटना के करीब दो हफ्ते बाद 11 सितंबर को सुल्तानपुर पुलिस ने चार अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लूटे गए पूरे सोने की बरामदगी का दावा किया.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
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निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.