महिलाओं को 1,500 रुपए की मासिक सहायता, हर साल तीन बार मुफ्त एलपीजी सिलेंडर भरवाने की सुविधा, वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त तीर्थयात्रा और कमजोर वर्गों की महिलाओं को मुफ्त व्यावसायिक शिक्षा मुहैया कराना. ये ऐसी कल्याणकारी योजनाएं हैं जिन्हें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल ही में शुरू किया है. लेकिन इनके पीछे असल मकसद किसी से छिपा नहीं है. दरअसल, लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से 31 पर कब्जा जमा चुके विपक्षी गठबंधन महा विकास घड़ी (एमवीए) से मात खाने के बाद सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.
राज्य सरकार ने इस साल बजट में महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं पर केंद्रित सात प्रमुख कल्याणकारी योजनाएं घोषित की हैं (देखें: चुनावी सौगात). इनमें से एक प्रमुख योजना 'मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहन' भी है, जिसके तहत गरीब महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपए की आर्थिक सहायता मिलेगी. महायुति सरकार ने मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को राजनैतिक लाभ पहुंचा चुकी लाडली बहना योजना की तर्ज पर बनाई गई इस योजना पर काफी उम्मीदें टिका रखी हैं.
शिंदे जोर देकर कहते हैं कि उनकी सरकार लाडकी बहन और अन्य योजनाओं को निरंतर जारी रखने का इरादा रखती है. उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, “ये स्थायी योजनाएं हैं. इन्हें चुनावों को ध्यान में रखकर घोषित नहीं किया गया है. उन्हें (विपक्ष को) अच्छी तरह पता है कि एक बार महिलाओं के खातों में पैसे आ गए तो उनकी राजनीति मुश्किल हो जाएगी. अमीर परिवार में जन्मे लोग 1,500 रुपए की अहमियत नहीं समझ पाएंगे. महिलाएं इसका इस्तेमाल कपड़े, खिलौने, खाने-पीने की चीजें खरीदने या फिर अपने बच्चों की स्कूल फीस भरने में कर सकती हैं. यह पैसा अर्थव्यवस्था में आएगा." इस कदम से विपक्षी दलों में होड़ मच गई है. कांग्रेस ने सत्ता मिलने पर लाडकी बहन की रकम को बढ़ाकर 2,000 रु. करने का संकल्प लिया है जबकि शिंदे ने वादा किया है कि अगर वे दोबारा सत्ता में आए तो रकम बढ़ाकर 3,000 रु. कर दी जाएगी.
This story is from the 2nd October, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the 2nd October, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
भुवन की बम-बम
भुवन बाम 27 सितंबर को डिज्नी + हॉटस्टार पर ताजा खबर के नए सीजन के साथ वापसी कर रहे
हरित ऊर्जा की तरफ कूच
जीवाश्म ईंधन से सोलर सेल तक भारत की ऊर्जा क्रांति रोमांचकारी है, मगर क्या इसकी मौजूदा रफ्तार कायम रखी जा सकती है? नीति निर्माता, उद्योग के अगुआ और विशेषज्ञ बता रहे हैं अपना-अपना नजरिया और चिंताएं
मुश्किल में मुखर्जी नगर की विरासत
हिंदी माध्यम में सिविल सेवा तैयारी के सबसे बड़े केंद्र दिल्ली के मुखर्जी नगर के कोचिंग संस्थानों के सामने अस्तित्व का संकट
सोने के प्रति नई ललक
देश में बढ़ते जेवरात बाजार के मद्देनजर बड़े कॉर्पोरेट घराने हिस्सेदारी ने की होड़ में उपभोक्ताओं की खातिर खांटी माल और आकर्षक डिजाइन लेकर हाजिर
अवधपुरी में धांधली की गहराती धमक
अयोध्या में जमीन की खरीद और मुआवजा वितरण में धांधली पर समाजवादी पार्टी का आक्रामक रुख. विपक्षी दलों के आरोपों का जवाब देने में आखिर कमजोर क्यों साबित हो रही भाजपा सरकार?
शिंदे की रेवड़ी बांटने वाली चाल
क्या इससे उन्हें अधर में लटके महायुति के भविष्य को नई दिशा देने में मदद मिलेगी?
जन सुराज प्रशांत किशोर का पोलिटिकल वेंचर!
दो साल से बिहार में चल रहा जन सुराज अभियान गांधी जयंती के दिन पार्टी की शक्ल लेने जा रहा. पहली बार कोई पार्टी रिसर्च, स्ट्रैटजी और पेशेवर प्रबंधनों से बन रही. कहीं न कहीं इसके पीछे पैसों की ताकत भी है. प्रशांत किशोर का मानना है कि बिहार में सफल रहने पर इस प्रयोग को देश के दूसरे इलाकों में भी आजमाया जाएगा
केजरीवाल ने चल दिया तुरुप का इक्का
जमानत पर जेल से बाहर आते ही आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा कर विरोधियों को चौंका दिया
वादे, इरादे और खतरे
मायूसी लंबे वक्त से जम्मू और कश्मीर के स्वभाव में रच-बस गई थी, वहीं यह विधानसभा चुनाव राज्य में उम्मीद की सरगर्मियां लेकर आया है. आठ प्रमुख सियासतदानों ने ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा से अपनी नाइत्तेफाकी और आकांक्षाओं के बारे में बात की
कितना कुछ दांव पर
दस साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा की अब राज्य में वर्चस्व हासिल करने की चाहेत. दूसरी ओर घाटी के नेता अपनी पहचान और स्वायत्तता वापस पाने की लड़ाई लड़ रहे