फिर, 90 के दशक के बाद से, पहली बार भारत में जन्मे तकनीकविद् / प्रबंधक आए जिन्होंने महज वरिष्ठ प्रबंधन पदों से ही संतुष्ट होने के बजाए सफलता के नए झंडे गाड़े. बहुराष्ट्रीय निगमों के वे पहले सीईओ और विदेशी भूमि पर उद्योग के पहले कप्तान, जैसे लक्ष्मी मित्तल और हिंदुजा भाई (जिनकी सदाबहार चमक अभी भी बरकरार है) पथ प्रदर्शक हैं. अब उन्होंने महिला और पुरुषों के ऐसे ख्यातनाम समूह को राह दिखाई है जिन्होंने अमेरिका के तकनीकी कंपनियों के दफ्तरों के सबसे अहम केबिनों में जगह बनाई है. सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट) और सुंदर पिचाई (अल्फाबेट) जैसे प्रतिष्ठित सीईओ भारत में पहले से ही आइकन हैं, वे इस साल की वैश्विक भारतीयों की ऊंचे और असरदार सूची में अग्रणी पांत में हैं. हम गणेश मूर्ति (माइक्रोचिप टेक्नोलॉजी), शांतनु नारायण (एडोबी) और अरविंद कृष्ण (आइबीएम) का भी उल्लेख देखते हैं. वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनियों के भारत में जन्मे इन अग्रणी नेतृत्वकर्ताओं ने अपनी फर्मों के लाभ को न केवल बढ़ते हुए देखा है बल्कि उनके विजनरी आउटलुक के कारण तकनीक की भविष्य की सबसे अच्छी चीज भी आई है: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाउड कंप्यूटिंग. दूसरी तरह का संयोग यह है कि भारत में जन्मे दो अर्थशास्त्री, गीता गोपीनाथ और अजय बंगा, क्रमशः आइएमएफ और विश्व बैंक में नीति निर्धारक पदों पर हैं जो कि वैश्विक वित्त के स्तंभ हैं. दोनों जलवायु परिवर्तन और संघर्ष के दौर बीच अपने संगठनों को भलाई की ताकत बनने के लिए आगे बढ़ाने को कृत संकल्प हैं. और कोल्हापुर में जन्मीं लीला नायर का करियर उन्हें इस मोड़ पर ले आया जो लिंग/नस्ल की कठोर धारणाओं को पीछे छोड़ते हुए फ्रेंच लग्जरी दिग्गज शनेल की सीईओ बन गईं. ये प्रतिभाशाली वैश्विक भारतीय, सीमाओं के आखिरी बंधन भी तोड़ रहे हैं.
1 सत्य नडेला, 57 वर्ष सीईओ, माइक्रोसॉफ्ट
चतुर निवेशक
क्योंकि वे माइक्रोसॉफ्ट में एज्योर ओपनएआइ सर्विस जैसे अगली पीढ़ी के एआइ टूल्स का इस्तेमाल कर बदलाव की नई लहर के अगुआ हैं जिसका इस्तेमाल सभी उद्योगों की 11,000 से अधिक फर्में करती हैं. कंपनी ने पिछले साल एक जेनरेटिव एआइ चैटबोट कोपायलट भी शुरू किया
This story is from the November 13, 2024 edition of India Today Hindi.
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