
थीं कितनी दुश्वारियां
भारत में कृषि क्षेत्र भा लगातार चुनौतियों से भरा रहा है और इसकी मुख्य वजह है पानी को लेकर अनिश्चितता. ज्यादातर इलाकों में जहां पानी है भी लेकिन खराब प्रबंधन से उसका लाभ ज्यादा नहीं मिल पाता. भारत में खेती-किसानी आम तौर पर बाढ़ सिंचाई पद्धति से की जाती है, जिसमें पानी को या तो पूरे खेत में खुला बहने के लिए छोड़ दिया जाता है या से विभिन्न उपायों से उलीचा जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि उसमें सिर्फ 50 फीसद पानी फसलों के काम आता है, बाकी बहने, उड़ने या मिट्टी में रिसने की वजह से बर्बाद हो जाता है. इसलिए इसका विकल्प जरूरी था.
देश में सिंचाई के लिए पानी का मुख्य स्रोत नलकूपों से उलीचा गया भूमिगत जल (45 फीसद) है. उसके बाद नहर सिंचाई पद्धति से लाया गया बड़ी नदियों और उनकी सहायक नदियों का पानी (26 फीसद) आता है. दोनों ही मामलों में पानी की बहुत ज्यादा बर्बादी होती है. भूमिगत जल को निकालने में बिजली की जो लागत आती है, सो अलग. अप्रत्याशित मौसम इन दुश्वारियों को और बढ़ा देता है, जिससे खेती-किसानी भारत में बहुत जोखिम भरा पेशा बन गई है. भूमिगत जल पर आधारित सिंचाई पर्यावरण के लिए भी घातक है क्योंकि जल स्तर खतरनाक स्तर तक गिर रहा है.
यूं आसान हुआ जीवन
Denne historien er fra February 05, 2025-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra February 05, 2025-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på

ऐशो-आराम की उभरती दुनिया
भारत का लग्जरी बाजार 17 अरब डॉलर (1.48 लाख करोड़ रुपए) का है जिसकी सालाना वृद्धि दर 30 फीसद है.

भारत की प्राचीन बौद्धिक ताकत
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इस सत्र का बेसब्री का इंतजार किया जा रहा था और विलियम डेलरिम्पिल ने निराश भी नहीं किया.

असीम आकाश का सूरज
गए साल गर्मियों में सूर्यकुमार यादव ने बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल मैदान की सीमारेखा पर ऐसा करतब दिखाया जिसने फतह और मायूसी के बीच की बारीक-सी लकीर को बेध दिया.

मौन क्रांति की नींव
भारत लगातार आगे बढ़ रहा है लेकिन यह यात्रा देश के दूरदराज इलाकों बन रहे बुनियादे ढांचे के बिना मुमकिन नहीं हो सकती.

सबके लिए एआइ
टोबी वाल्श आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) को समझाने के लिए जिसे मिसाल बनाना पसंद करते हैं, वह है बिजली. यह सब जगह है, दूरदराज के कोनों में भी.

उथल-पुथल के दौर में व्यापार
बराबरी का टैरिफ लगाने की तलवार सिर पर लटकी होने से भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को पक्का करने में कोई वक्त नहीं गंवाया, जिसका लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 200 अरब डॉलर (17.4 लाख करोड़ रुपए) से बढ़ाकर दशक के अंत तक 500 अरब डॉलर (43.6 लाख करोड़ रुपए) तक ले जाने का है.

चर्बी से यूं जीतें जंग
चिकित्सा अनुसंधानों से लगातार पता चल रहा है कि मोटापा केवल खूबसूरती का मसला नहीं.

रोबॉट के रास्ते आ रही क्रांति
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव एआइ की शक्ति से संचालित मानवाकार रोबॉट-स्पेसियो-और गार्डियो नाम के साइबर हाउंड्स के लाइव प्रदर्शन का गवाह बना.

देखभाल और विकल्प के बीच संतुलन की दरकार
हाल के सालों में सरगर्म बहस होती रही है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान जिंदगियां बचाने पर होना चाहिए या जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने पर.

रूस की पाती
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि रूस यूक्रेन के साथ जारी युद्ध में नई दिल्ली के कूटनीतिक संतुलन की सराहना करता है.