देश की चुनौती, टूटता विश्वास टूटता समाज
Sarita|October First 2022
आज लोगों का आपसी विश्वास टूट चुका है. पड़ोसी का पड़ोसी पर विश्वास नहीं रहा, जनता को राजनीति पर भरोसा नहीं. कानून समय पर मदद करेगा, विश्वास नहीं. धर्म व जाति के नाम पर हर रोज नई दरारें सामने आ रही हैं जो इस टूट की जिम्मेदार हैं. आमजन इस टूटन को भांप नहीं पा रहा है.
नसीम अंसारी कोचर
देश की चुनौती, टूटता विश्वास टूटता समाज

भारत के बारे में सदियों से एक कहावत मशहूर है कि यहां 'कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वाणी.' यानी भारत में हर एक कोस की दूरी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और 4 कोस पर भाषा यानी वाणी बदल जाती है. यह भिन्नता खानपान, पहनावे, भाषा, आस्था सब में दिखती है, लेकिन इन जबरदस्त भिन्नताओं के बावजूद भारत एकता के सूत्र में बंधा रहा है. यहां के लोगों में भारतीयता की भावना सर्वोपरि रही है. अनेकता में एकता हमेशा से भारत का मूल स्वभाव था लेकिन बीते एक दशक से विघटनकारी शक्तियां बड़ी तेजी से भारत को उस के मूल स्वभाव से दूर करने की कोशिश में लगी हैं.

भारत टूट रहा है, दरक रहा है. पारिवारिक तौर पर, सामाजिक तौर पर और राजनीतिक तौर पर खंडखंड हो रहा है लेकिन सत्ताशीर्ष पर बैठे लोग इस को स्वीकार नहीं करना चाहते. ऐसा क्यों ? क्योंकि इस टूटन से ही उन्हें राजनीतिक फायदा मिला है और उन का मानना है कि ध्रुवीकरण के जरिए ही वे सत्ताशीर्ष पर बने रह सकते हैं.

सत्ता का मजा लूट रहे लोग भारत के जनमानस के बीच इस संदेश को हरगिज जाने नहीं देना चाहते कि भारत टूट रहा है. वे जनता को धर्म और आस्था के भ्रमजाल में फंसाए रखना चाहते हैं.

जाति और धर्म के आधार पर समाज को बांटना देश के लिए ठीक नहीं है लेकिन देश में होने वाला हर छोटे से बड़ा चुनाव जाति व धर्म के नाम पर लोगों को बांट कर ही लड़ा जाता है. चुनाव के समय गरीब के जीवन से जुड़े असल मुद्दे सिरे से नदारद होते हैं. राजनेता देशवासियों के बीच द्वेष की भावना को पुख्ता कर राजनीति में अपना उल्लू तो सीधा कर रहे हैं मगर देश को वे जर्जर कर रहे हैं.

धार्मिक ध्रुवीकरण चुनाव में अन्य मुद्दों को पूरी तरह दरकिनार कर देता है. इस से पूरे देश का अहित हो रहा है. लोगों के दिमाग में जातीय और धर्म से जुड़ी दुर्भावनाएं डाल कर नेता अपनी कमियां छिपा लेते हैं. द्वेष से भरा मस्तिष्क इस के आगे कुछ सोच भी नहीं पाता और राष्ट्रीय मुद्दे गौण हो जाते हैं, लोकतंत्र कमजोर होने लगता है और समाज में धर्म व जाति के नाम पर वैमनस्यता बढ़ जाती है. विकास के मुद्दों से ध्यान हटा कर लोगों के अंदर धार्मिक और जातीय उन्माद पैदा किया जाना किसी भी लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है.

This story is from the October First 2022 edition of Sarita.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the October First 2022 edition of Sarita.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM SARITAView All
निशानेबाजी की 'द्रोणाचार्य' सुमा शिरूर
Sarita

निशानेबाजी की 'द्रोणाचार्य' सुमा शिरूर

सुमा शिरूर भारतीय निशानेबाज हैं. वर्तमान में सुमा भारतीय जूनियर राइफल शूटिंग टीम की कोच हैं. सुमा शूटिंग में अब तक कई मैडल जीत चुकी हैं, वहीं उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

time-read
1 min  |
January First 2025
राज कपूर की 100वीं जयंती ऐसे ही कोई नहीं बन जाता शोमैन
Sarita

राज कपूर की 100वीं जयंती ऐसे ही कोई नहीं बन जाता शोमैन

राज कपूर नेहरूवादी सामाजिक सोच को ले कर चल रहे थे लेकिन उन की लगभग हर फिल्म के लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित थे. यही एक वजह भी है कि राज कपूर की फिल्मों में समाजवादी मिश्रण नजर आया और उन्होंने वर्ग संघर्षों से जनित आम लोगों के सामाजिक बदलावों को परदे पर उतारा.

time-read
2 mins  |
January First 2025
संतान को ही क्यों दें संपत्ति
Sarita

संतान को ही क्यों दें संपत्ति

राजनीति हो या बिजनैस सही उत्तराधिकारी का चयन ही विरासत को आगे बढ़ाता है. यदि उत्तराधिकारी ढूंढ़ने में लगता है तो समय लगता परिणाम भविष्य में घातक भी साबित होते हैं.

time-read
2 mins  |
January First 2025
दुर्घटना हो जाए तो
Sarita

दुर्घटना हो जाए तो

दुर्घटना के बाद सही कदम उठाना आप के और दूसरों के लिए मददगार हो सकता है लेकिन आमतौर पर लोगों को की जानकारी कम होती है कि ऐसी परिस्थिति में वे क्या करें. जानिए यदि रास्ते में दुर्घटना हो जाए तो क्या करें.

time-read
3 mins  |
January First 2025
मरने के बाद धार्मिक आडंबर के नाम पर लूट
Sarita

मरने के बाद धार्मिक आडंबर के नाम पर लूट

मौत के बाद, बजाय शरीर के खाक होने के, व्यक्ति के साथ क्या होता है इस का कोई प्रमाण नहीं. बावजूद हिंदुओं में मृत्यपरांत धार्मिक कर्मकांड भरे पड़े हैं. इस के केंद्र में पंडे हैं जो दानदक्षिणा का धंधा चलाए रखना चाहते हैं.

time-read
2 mins  |
January First 2025
अधूरा प्यार
Sarita

अधूरा प्यार

अपने अधूरे को पाने की लालसा एक बार फिर मन में बलवती हो उठी थी. लेकिन रोज ने मुझे ऐसा आईना दिखाया कि उस में अपना चेहरा देख मुझे शर्म आ रही थी.

time-read
2 mins  |
January First 2025
संकट कटे मिटे सब पीड़ा
Sarita

संकट कटे मिटे सब पीड़ा

गाय रोटी खाएगी तो ग्रह दोष मिटेगा, कुत्ते को खिलाओ तो दुश्मन भागेगा. मेहनत से दूर भागने वालों ने तांत्रिकों को भिखारी से करोड़पति बना दिया है, अरे वाह, यह कैसा खेल है, आप भी पढ़िए.

time-read
2 mins  |
January First 2025
बीमार न कर दें पसंदीदा फूड
Sarita

बीमार न कर दें पसंदीदा फूड

बच्चे तो बच्चे, अब बड़े भी जीभ के गुलाम बन गए हैं जो चटपटे खाने की तरफ दौड़ पड़ते हैं. लेकिन ये फूड्स आप को बीमार भी कर सकते हैं.

time-read
2 mins  |
January First 2025
वोट ट ने बदली महिलाओं की तसवीर
Sarita

वोट ट ने बदली महिलाओं की तसवीर

रामचरितमानस में जिन औरतों को 'ताड़न की अधिकारी' बता कर वर्ण व्यवस्था का शिकार बनाया गया, वोट व्यवस्था में वही औरतें चुनावी जीत का आधार बन कर वर्ण व्यवस्था पर करारी चोट कर रही हैं.

time-read
2 mins  |
January First 2025
घर खरीदने से पहले
Sarita

घर खरीदने से पहले

अपना घर अपना ही होता है, भले छोटा ही हो. कई बार हम घर खरीदते समय ऐसी लापरवाहियां कर बैठते हैं जो बाद में दिक्कत देती हैं. आज के समय में घर खरीदते समय सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है.

time-read
3 mins  |
January First 2025