एक त्योहार जो हम सब के लिए बहुत खास होता है वह है दीवाली. कुछ भी विशेष महत्त्वपूर्ण आयोजन, योजना, खरीदफरोख्त करनी होती है तो हम इस त्योहार को ध्यान में जरूर रखते हैं. तभी तो हम इस त्योहार को धूमधाम से, सब के साथ मिल कर मनाते हैं. इस मौके पर हम अपने प्रियजनों को अपनी ओर से अपनी शुभकामनाओं के साथ अपनी प्यारी सी, लुभावनी यादगार यानी कि विशेष उपहार देते हैं ताकि वह उपहार उन्हें आप की याद दिलाए और उस उपहार में आप का प्यार झलके.
लेकिन अकसर लोग इस उपहार को देने में साइज और प्राइज को महत्त्व देने लगते हैं. यानी कि उपहार यदि काम का भी हो लेकिन देखने में छोटा हो तो साइड में रख कर उन की नजर बड़े से बड़े साइज के गिफ्ट पर जाएगी, यह सोच कर कि देने में अच्छा लगेगा. लेने वाले को लगेगा कि वाह, क्या वजनी गिफ्ट दिया है.
लेकिन जनाब ऐसे बड़े या महंगे गिफ्ट का क्या फायदा जो दूसरे के लिए किसी काम का ही न हो. अब देखिए, अपने चाचाजी को दीवाली पर आप कुछ खास देना चाहते हैं. आप ने उन के लिए अच्छी क्वालिटी का महंगा सा गरम सूट का कपड़ा लिया. माना कि आप ने अपनी तरफ से बढ़िया चीज ली है लेकिन सोचिए, रिटायर चाचाजी के लिए गरम सूट का कपड़ा किस काम का एक तो उसे सिलवाने का झंझट, दूसरा शायद उन्हें अब इस की जरूरत ही न हो.
हां, यह सोच कर किसी और को देने के काम आ जाएगा, वे अपनी अलमारी में सहेज कर रख देंगे लेकिन उन्होंने उसे खुद के लिए तो इस्तेमाल नहीं किया न. यही सूट के कपड़े के बजाय यदि आप ने उन के लिए गरम लोई, रोजमर्रा पहनने के लिए कुरतापाजामा सैट, गरम जुराबों का सैट, टौवल सैट, कंबल दिया होता तो शायद वे ज्यादा खुश होते ये उपहार पा कर.
इसलिए इस बार किसी के लिए दीवाली का उपहार खरीद रहे हैं तो उस की जरूरत के हिसाब से वस्तु का चयन कीजिएगा, न कि इस सोच में पड़ जाएं कि 'अरे, यह भी कोई देने की चीज है. उपहार देना है तो कुछ एलिगैंट सा दो. कुछ लगे तो सही. कुछ न समझ आए तो बड़ा सा शोपीस ही खरीद लिया कि देने में अच्छा लगेगा.'
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