ग्लैमरस हीरोइनें अब नहीं रहीं शोपीस
Sarita|November First 2023
समय गया जब फिल्मों में हीरोइनें रोनेधोने और हीरो की महज लव एंगल होने का अभिनय करती थीं. हीरोइनें आज हीरो के बराबर हैं, कई मौकों पर तो हीरो से आगे भी रही हैं. फिल्मों में आजकल हीरोइनों के लिए स्पैशली दमदार किरदार लिखे जा रहे हैं.
आरती सक्सेना
ग्लैमरस हीरोइनें अब नहीं रहीं शोपीस

फिल्म इंडस्ट्री के अब तक के सफर में हीरोइनों ने अपना सौ फीसदी योगदान दिया है. फिर चाहे वह नरगिस, वहीदा रहमान, मधुबाला, आशा पारेख, वैजयंती माला आदि पुरानी हीरोइनें हों या श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, जयाप्रदा, जूही चावला, काजोल आदि 90 के दशक की हीरोइनें हों, अब तक के फिल्मी इतिहास में इन सभी नामीगिरामी हीरोइनों ने अपनी अपनी अलग पहचान बनाई है और एक से एक बेहतरीन फिल्में दी हैं.

बावजूद इस के, फिल्म इंडस्ट्री को हीरोप्रधान इंडस्ट्री कहा गया. बेहतरीन अदाकारों के बावजूद हीरोइन का पारिश्रमिक हीरो से हमेशा कम रहा, भले ही कोई फिल्म हीरोइनप्रधान ही क्यों न हो. बाकी फिल्मों में भी हीरोइनें सिर्फ शोपीस वाले रोल में ही नजर आती थीं. उन के हिस्से में दोतीन रोमांटिक सीन, एकदो गाने और एकदो इमोशनल सीन ही होते थे. इतना ही नहीं, खूबसूरती और अभिनय की बेमिसाल मूरत होने के बावजूद हीरोइन का फिल्मी कैरियर बहुत ही छोटा होता था, जिस के चलते 10 साल के कैरियर के बाद ही उन को मां, भाभी और बहन के किरदार औफर होने लगते थे. इसी वजह से कई सारी हीरोइनें बकवास रोल करने के बजाय फिल्मों से संन्यास लेना बेहतर समझती थीं.

कई सारी जानीमानी अभिनेत्रियों ने बेकार रोल करने के बजाय घर बैठना ज्यादा उचित समझा. लेकिन आज काफीकुछ बदल गया है. आज हीरोइनों के लिए खासतौर से रोल लिखे जा रहे हैं. बड़ा परदा, छोटा परदा या ओटीटी प्लेटफौर्म हो, आज खासतौर पर हीरोइनें दमदार किरदार निभा रही हैं जिस के चलते बौलीवुड हीरोइनें सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही हैं.

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