![जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो](https://cdn.magzter.com/1338812051/1735122792/articles/Ppp6ezhbC1735294004804/1735294325716.jpg)
"अरे, यह तुम ने गले में इतना बड़ा काला धागा क्यों पहन रखा है, पहले तो नहीं पहना था," नेहा ने कहा तो प्रिया रोंआसी हो कर कहने लगी, "आजकल मेरा पढ़ने में मन नहीं लग रहा क्योंकि मुझे किसी की नजर लग गई है. इसलिए मैं ने यह पहना है."
हर बार की टौपर प्रिया के मुंह से ये शब्द सुन कर नेहा अवाक रह गई, बोली, "क्या तुम इन सब अंधविश्वासों को मानती हो? तुम्हारा पढ़ाई में मन इसलिए नहीं लग रहा क्योंकि पढ़ाई से ज्यादा वक्त तुम अपने नए बने बॉयफ्रैंड को दे रही हो जिस के चलते क्लास में देर से आती हो और कुछ समझ नहीं पा रही हो. इस में यह काला धागा क्या कर लेगा? तुम अपने बॉयफ्रैंड से कहो कि क्लास में तुम्हें टाइम से ही जाना है. देखना, फिर कैसे पढ़ाई में तुम्हारा मन फिर से लगने लगेगा."
यह सुन प्रिया सोच में पड़ गई क्योंकि इस सच से तो वह मना नहीं कर सकती थी कि आजकल उस का मन पढ़ाई से ज्यादा अपने नए बने बॉयफ्रैंड के साथ टाइम स्पेंड करने में ज्यादा लग रहा है.
किसी की नजर न लगे, इसलिए लोग नीबू, मिर्च, जूताचप्पल आदि घरों व गाड़ियों में टांगते हैं. स्टूडेंट भी शगुन अपशगुन को बहुत मानते हैं क्योंकि उन्होंने अपने परिवार को शुरू से ऐसी रूढ़ियों में बंधे हुए ही देखा है. उन के मन में डर होता है कि इन सब रिचुअल्स को फौलो नहीं किया तो हमारे साथ कुछ खराब हो जाएगा.
यह बात समझ में आती है कि शुरू से जो माहौल देखो वही सही लगने लगता है. लेकिन अब तो आप घर से बाहर एक नई दुनिया में अपने दोस्तों के साथ हैं, उन से भी बहुतकुछ सीख सकते हैं. अगर एक दोस्त को लगता है कि मेरी दोस्त बहुत अच्छी है, हम बैस्ट फ्रैंड हैं, या एकदूसरे की दोस्ती को पसंद करते हैं लेकिन उस की अंधविश्वासी बातों की वजह से मुझे अच्छा नहीं लग रहा और उस रिलेशन में सफोकेशन होने लगी है या तो अपनी अच्छी दोस्ती तोड़ने के बजाय अपने दोस्त को समझा कर उसे सही रास्ते पर लाएं.
Bu hikaye Sarita dergisinin December Second 2024 sayısından alınmıştır.
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![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
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बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.
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बुलडोजर न्याय औरत विरोधी
बुलडोजर न्याय जैसे मनमाने फैसलों की मार अक्सर महिलाओं पर ही पड़ती है. इन सब के पीछे पुरुषवादी सोच काम करती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है लेकिन बुलडोजर न्याय की मानसिकता खत्म नहीं हुई है.
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श्याम बेनेगल का भारतीय फिल्म में अतुलनीय योगदान रहा. उन का काम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया. उन की फिल्मों ने न केवल मनोरंजन बल्कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण कदम उठाया.
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पर्सनैलिटी का आईना है डैस
व्यक्तित्व को निखारने वाले कपड़े आप के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं और आप की पहचान को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करते हैं. सही रंग, डिजाइन और फिटिंग न केवल आप की स्टाइल को सुधारते हैं, बल्कि आप के व्यक्तित्व का प्रभावशाली प्रदर्शन भी करते हैं. हर अवसर के लिए उपयुक्त पोशाक चुनना आप के व्यक्तित्व को और निखार सकता है.
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जीवन का एक और पहलू जिस में लोगों की बुरी आदतें होती हैं, चाहे उन्हें पता हो या न, वह है गाड़ी चलाते समय का. कोई भी व्यक्ति परफैक्ट ड्राइवर नहीं होता, लेकिन कुछ ऐसी ड्राइविंग आदतें होती हैं जो आने वाले समय में कार में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं.
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अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला ज्युडिशियल सिस्टम पर सवाल उठाता है. विडंबना यह है कि पूरी बहस महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े कानूनों को टारगेट करने पर केंद्रित हो गई है और इस घटना के चलते सभी महिलाओं को आरोपित किया जा रहा है.
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भले ही इंटरस्टेट मैरिज का विरोध होता हो लेकिन आज के दौर में ज्यादातर ऐसी शादियां सफल होते दिख रही हैं. यह समाज में आ रहा एक छोटा सा ही सही सुखद बदलाव है जिस के सामने कट्टरवाद और सामाजिक व धार्मिक पूर्वाग्रह घुटने टेकते नजर आ रहे हैं.
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दीवार से ऊंचे - कास्ट और क्लास के गड्ढे
आर्थिक वर्णव्यवस्था कभी मानव कल्पना से परे की बात थी लेकिन अब समाज और सोच का हिस्सा बन गई है. एक ही जाति के लोग आपस में आर्थिक हैसियत के मुताबिक फर्क करने लगे हैं. यह भी भारतीय सामाजिक संरचना से मेल खाती बात नहीं थी, लेकिन अब है.
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हड्डियों को गलाती तंबाकू की लत
भारत ही नहीं दुनियाभर में तंबाकू का भारी मात्रा में सेवन चिंता का विषय बनता जा रहा है, वह भी तब जब इस से जुड़ी गंभीर स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां सब के सामने हैं.