भाजपा प्रत्याशी के मुस्लिम मतदाताओं से रिश्ते भी आए काम, जुड़ाव ने रच दिया इतिहास
सपा अपने गढ़ कुंदरकी में इस बार हवा का रुख नहीं भांप पाई। भाजपा का बूथ मैनेजमेंट, मुस्लिम मतों तक उसकी पहुंच और सपा की अंतर्कलह से बाजी ही पलट गई। शेख और तुर्कों के आपसी अंतर्विरोध ने भी सपा को नुकसान पहुंचाया और तीन दशक बाद यह सीट भाजपा की झोली में 1.70 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से चली गई।
कुंदरकी में मुस्लिमों को रिझाने के लिए जहां भाजपा ने मुस्लिम पन्ना प्रमुख बनाए, अल्पसंख्यक सम्मेलन करवाए, वहीं उसके प्रत्याशी रामवीर सिंह का बूथ मैनेजमेंट व मुस्लिम मतदाताओं से उनके जुड़ाव ने इतिहास रच दिया। इस सीट पर लगातार दो चुनाव हारने और 2022 के चुनाव में टिकट कटने के बाद भी रामवीर क्षेत्र में डटे रहे। भाजपा से दूर रहने वाले मुस्लिम मतदाताओं को जोड़ना उनकी अहम रणनीति रही। उन्होंने मुस्लिमों में हाजी रिजवान के विरोध को भांपते हुए चुनाव को भाजपा बनाम सपा नहीं बनने दिया।
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