अपनी नींद के बारे में जाने कुंडली से
Jyotish Sagar|September 2022
भारतीय दर्शन मे व्यक्ति की जागृत, स्वप्न, सुषुप्त और तुरीय यह चार प्रकार की अवस्थाएँ मानी गई है।
डॉ. प्रशान्त खानवलकर
अपनी नींद के बारे में जाने कुंडली से

निद्रा सुषुप्तावस्था का दूसरा नाम है। इस अवस्था में व्यक्ति चेतनाहीन हो जाता है, उसे बाह्य संसार का कुछ भी ज्ञान नहीं रहता है और न ही उसके सामने कोई काल्पनिक संसार ही रहता है। बाह्य संसार के ज्ञान की अवस्था जागृतावस्था है और काल्पनिक संसार के ज्ञान की अवस्था स्वप्न कहलाती है। तुरिया अवस्था ब्रह्म ज्ञान की होती है। यह अवस्था केवल योग साधना से प्राप्त होती है और दुर्लभ है।

जाग्रतावस्था में शक्ति का प्रवाह मस्तिष्क की और होता है, इस कारण शरीर के दूसरे अंगों को पर्याप्त शक्ति नहीं मिल पाती । निद्रावस्था में शारीरक थकान दूर होकर शरीर और मन स्वस्थ होता है।

निद्रा और स्वास्थ्य

निद्रावस्था मे मनुष्य विचारशून्य हो जाता है और उसके मस्तिष्क की प्रबल क्रियाएँ रुक-सी जाती हैं और ऐसी अवस्था में शक्ति का संचार शरीर के दूसरे अंगों की ओर होने लगता है।

पाचनक्रिया के भलि-भाँति होने के लिए विचारों का चलना बंद होना आवश्यक है। निद्रावस्था में पाचनक्रिया सुचारू रूप से होती है।

निद्रा मनुष्य के सही स्वास्थ्य की सूचक है, प्रतिदिन निर्विघ्न निद्रा होना स्वास्थ्यप्रद होता है।

आचार्य चरक ने निद्रा की सांगोपांग सुंदर विवेचना की है-

"यदा तु मनसि क्लान्ते क्लमान्विताः कर्मात्मानः ।

विषयेभ्यो निवर्तन्ते तदा स्वपिति मानवः ॥"

अर्थात पुरुष कर्म वृत्ति एवं उसके कारण विशेषतया मन जब थक जाता है तो बाह्य विषयों से निवृत हो जाता है और फलत: व्यक्ति सो जाता है।

वस्तुतः निद्रा व्यस्त जीवन में पूर्ण शांति प्रदान करती है। जिस प्रकार गर्भस्थ शिशु माता के घर में सब प्रकार से सुरक्षित हो कर सोता है, उसी प्रकार जीव भी अपने को सब प्रकार की उत्तेजनाओं से दूर रख कर सब प्रकार से सुरक्षित होकर शयन काल में मानव गर्भस्थ शिशु का अभिनय करता है।

हृदय अधोमुख कमल के समान है। व्यक्ति के जगे रहने पर वह विकसित होता है और सो जाने पर निमीलित हो जाता है। हृदय संपूर्ण चेतनाओं का अधिष्ठान है। उस अधिष्ठान में तमोगुण का प्रवेश होने से प्राणियों में निद्रा का प्रवेश हो जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए तो निद्रा आवश्यक है ही, अपितु निद्रा शारीरीक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है।

This story is from the September 2022 edition of Jyotish Sagar.

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