भगवान श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर को एक प्राचीन आख्यान सुनाते हुए कहते हैं : ‘‘दशार्ण देश के पश्चिम भाग के मरुस्थल में अपने साथियों से बिछुड़ा हुआ एक व्यापारी पहुँचा । वह भूख-प्यास से व्याकुल हो इधर-उधर घूमने लगा । उसने एक प्रेत के कंधे पर बैठे प्रेत को देखा, जिसे चारों ओर से अन्य प्रेत घेरे हुए थे। कंधे पर चढ़े प्रेत ने कहा : तुम इस निर्जल प्रदेश में कैसे आ गये?"
व्यापारी : ‘‘मेरे साथी छूट गये हैं। मैं अपने किसी पूर्व कुकृत्य के फल से यहाँ पहुँचा हूँ। मैं अपने जीने का कोई उपाय नहीं देख रहा हूँ।"
"क्षणमात्र प्रतीक्षा करो, तुम्हें अभीष्ट लाभ होगा।”
This story is from the August 2022 edition of Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
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ऐसी कल्पना आपका कल्याण कर देगी
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९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।