शिव-तत्त्व की महिमा व उपासना की विधि
Rishi Prasad Hindi|January 2023
महाशिवरात्रि : १८ फरवरी
पूज्य बापूजी
शिव-तत्त्व की महिमा व उपासना की विधि

फाल्गुन (अमावस्यांत माघ) मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आनेवाली यह महाशिवरात्रि, कल्याणकारी रात्रि तपस्या का पर्व है। महाशिवरात्रि को जितना हो सके एकांत में रहना, जैसे भगवान साम्बसदाशिव समाधि में रहते हैं। विज्ञान की दृष्टि से भी भजन, ध्यान के लिए यह महारात्रि बड़ी उपयोगी है। 

इस महारात्रि का महत्त्व बताते हुए भीष्म पितामह कहते हैं : "युधिष्ठिर ! भगवान की साम्बसदाशिव महिमा ध्यान से सुनो। चित्रभानु सुख-वैभव से सम्पन्न राजा था महाशिवरात्रि के दिन उसके पास अष्टावक्र मुनि आये। राजा ने व्रत रखा था। 

अष्टावक्रजी ने पूछा विचारवान हो और तुम्हारे पास इतनी सुख: "तुम इतने सम्पदा है फिर महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रख रहे हो?"

चित्रभानु ने कहा : "मुनीश्वर ! ईश्वर की कृपा से मुझे पिछले जन्म की स्मृति है। मैं पिछले जन्म में शिकारी था । पशुओं को मारता और उन्हें बेचकर गुजारा करता था। महाशिवरात्रि का दिन था। मैं जंगल में शिकार करने गया तो लौटतेलौटते रात हो गयी, जिसके कारण मैं रास्ता भटक गया। घर जाने में असमर्थ था तो आश्रय के लिए मैं एक बिल्ववृक्ष पर चढ़ गया। दैवयोग से उस पेड़ के नीचे शिवलिंग था। अनजाने में मेरा रात्रिजागरण हो गया और भटक गया था इसलिए भूखा भी रहा तो उपवास हो गया। वहाँ बैठे-बैठे ऐसे ही बिल्वपत्र तोड़ता था, वे बिल्वपत्र बिल्ववृक्ष के नीचे स्थित शिवलिंग पर गिरते जाते थे तो अनजाने में मेरे द्वारा शिवजी की पूजा हो गयी। उस रात के बाद मेरे चित्त में पाप की रुचि कम होने लगी और भगवान की आराधना का कुछ भाव जगा। 

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