बालक शंकर ८ साल की उम्र में आतुर संन्यास ले के गुरु की खोज में केरल से चले। चलते-चलते मैसूर के जंगल में पहुँचे। जंगल में तुंगभद्रा नदी के किनारे हाथ-पैर धोये, थोड़ा आराम किया। गर्मी का समय था तो देखा कि मेंढ़क नदी से बाहर निकल के आते हैं, थोड़ा आहार वगैरह करके गर्मी लगती है तो फिर पानी में घुसते हैं। मेंढ़कों का एक टोला बाहर निकला परंतु नदी का रास्ता भूल गया। वे मेंढ़क गर्मी के ताप से तपने लगे। इतने में एक काला साँप आया।
बालक शंकर मेंढ़कों के पास पहुँचें उसके पहले वह काला साँप पहुँच गया और फन चढ़ा के मेंढ़कों पर छाया की। बालक शंकर ने देखा, सोचा कि 'मेंढ़क तो साँप का आहार है, साँप और मेंढ़क तो शत्रु हैं। ये आपसी शत्रुतावाले प्राणी एक-दूसरे के दुःखनिवारण में लगे हैं, यह कैसे ? क्या कारण होगा?'
इधर-उधर देखा तो एक छोटी पहाड़ी दिखी। पगडंडी से उस पहाड़ी पर पहुँचे। वहाँ देखा कि पहाड़ी के कोने में एक छोटी-सी गुफा है और कोई तपस्वी ध्यानमग्न हैं।
शंकर ने उनसे पूछा : “मैंने देखा कि यहाँ साँप मेंढ़कों का दुःख अपना दुःख समझ के फन चढ़ा के उन पर छाया कर रहा है, इसका क्या कारण है?’’
तपस्वी बोले: ‘‘वत्स ! यहाँ पर शृंगी ऋषि ने तप किया था।
सबमें एक, एक में सब।
एको देवः सर्वभूतेषु गूढः...
'वह एक देव ही सब प्राणियों में छिपा है।'
(श्वेताश्वतरोपनिषद् : ६.११)
एकमेवाद्वयं ब्रह्म नेह नानास्ति किंचन।
'वह एक ही अद्वैतरूप ब्रह्म है, उसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है।'
(अध्यात्मोपनिषद् ६४)
ऐसे विचारों के स्पंदन, परमाणु इस धरती पर हैं। इसलिए इस धरती के जीव-जंतुओं को भी उन स्पंदनों के, परमाणुओं के सात्त्विक प्रभाव का फायदा मिलता है।"
هذه القصة مأخوذة من طبعة June 2023 من Rishi Prasad Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة June 2023 من Rishi Prasad Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"