आचार्य कौशिकजी महाराज ने कहा: जन्मदिन तो एक निमित्त है, सभी महात्मा लोग बापूजी की रिहाई के लिए जयघोष करें, बापूजी जेल से रिहा हों इसके लिए यह कार्यक्रम रखा है।
पूज्य आशारामजी बापू कितने बेघर हुए, अपने धर्म से भटके हुए लोगों को अपने घर में, अपने धर्म के रास्ते पर लेकर आये! इन महापुरुष ने इस देश की दशा और दिशा दोनों को बदला। पूज्य बापूजी इंसान नहीं, भगवान हैं भगवान, जिन्होंने इस धरती के लिए इतने अद्भुत कार्य किये हैं। धरती के लोग उनके ऋण से, उनके द्वारा किये गये कार्यों से कभी उऋण नहीं हो सकते। जिन्होंने सनातन हिन्दू परम्पराओं को इतनी बड़ी ताकत दी है उन बापूजी की शीघ्र रिहाई होनी चाहिए।
अब वह समय बहुत जल्दी आनेवाला है जब बापूजी को निर्दोष घोषित किया जायेगा। मैंने अपना जन्मदिन उन्हींके लिए उनके चरणों में समर्पित किया है कि वे बहुत शीघ्र बाहर आयेंगे, इसमें अतिशयोक्ति नहीं है। जिस दिन वे बाहर आयेंगे उनके आदर-सम्मान में सड़कों पर ५० लाख लोग होंगे। हो सकता है ५० लाख में एक मैं भी होऊँ। तुलसी तपोवन गौशाला श्री योग वेदांत सेवा समिति के सभी परिजनों का बहुत आदर-मान करती है और हम भरोसा ही नहीं दिलायेंगे बल्कि इसके लिए बहुत मेहनत करेंगे कि बापूजी बहुत जल्दी बाहर आयें।
Diese Geschichte stammt aus der May 2024-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"