१२ अक्टूबर को दशहरा, विजयादशमी का पर्व है। यह पर्व मनुष्य को सांसारिक आसक्तियों पर विजय पाकर अपने आत्मस्वभाव में जगने का उत्तम संदेश देता है। पूज्य बापूजी अपने सत्संग में विजयादशमी का तात्त्विक रहस्य बड़े ही रसमय ढंग से समझाते हैं :
विजयादशमी का संदेश
तुम उत्साहित विजयादशमी तुम्हें संदेश देती है कि हो जाओ। भले संसार में दुराचार बढ़ गया है, पाप का बोलबाला है, ऐसे लोगों के पास बल व अधिकार हैं और धार्मिक, सज्जन व्यक्तियों के पास बल, सत्ता नहीं है, फिर भी डरना नहीं। यदि तुममें उत्साह है और तुम अंतरात्मा राम से जुड़ते हो तो तुम्हारी विजय होगी। पांडवों के पास कुछ नहीं था, उत्साह था और सत्य के पक्ष में थे तो विजयी हो गये। विजयादशमी संदेश देती है कि अधर्म, असात्त्विकता चाहे कितनी भी बलवान दिखे फिर भी तुम्हें रुकना नहीं चाहिए, डरना नहीं चाहिए। भय कितना भी बड़ा दिखे, असफलता कितनी भी बड़ी दिखे, शत्रु कितना भी विशालकाय दिखे फिर भी तुम हिम्मत न हारना, तुम्हारे राम में बड़ा बल है। जिनको आशा है कि हम चैतन्यस्वरूप परमात्मा की मुलाकात कर लेंगे, जिन्होंने अपने जीवन को भौतिक संसार में ही नष्ट नहीं किया है ऐसे जिज्ञासुओं के लिए संतों के अनुभवयुक्त वचन हैं :
आशावान् च पुरुषार्थी प्रसन्नहृदयः सुयः।
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अद्भुत हैं आँवले के धार्मिक व स्वास्थ्य लाभ!
पद्म पुराण के सृष्टि खंड में भगवान शिवजी कार्तिकेयजी से कहते हैं : \"आँवला खाने से आयु बढ़ती है। उसका जल पीने से धर्म-संचय होता है और उसके द्वारा स्नान करने से दरिद्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। कार्तिकेय ! जिस घर में आँवला सदा विद्यमान रहता है वहाँ दैत्य और राक्षस नहीं जाते। एकादशी के दिन यदि एक ही आँवला मिल जाय तो उसके सामने गंगा, गया, काशी, पुष्कर विशेष महत्त्व नहीं रखते। जो दोनों पक्षों की एकादशी को आँवले से स्नान करता है उसके सब पाप नष्ट हो जाते हैं।\"
पादपश्चिमोत्तानासन : एक ईश्वरीय वरदान
'जीवन जीने की कला' श्रृंखला में इस अंक में हम जानेंगे पादपश्चिमोत्तानासन के बारे में। सब आसनों में यह आसन प्रधान है। इसके अभ्यास से कायाकल्प हो जाता है। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
आयु-आरोग्य, यश बढ़ानेवाला तथा पितरों की सद्गति करनेवाला व्रत
२८ सितम्बर : इंदिरा एकादशी पर विशेष
मन पर नियंत्रण का परिणाम
महात्मा गांधी जयंती : २ अक्टूबर
संग का प्रभाव
कैकेयी बुरी नहीं थी। मंथरा की संगत ने उसे पाप के मार्ग पर चला दिया। रावण के जीवन को पढ़ो। अच्छा-भला वेदों का पंडित, अपने कर्तव्य पर चलनेवाला विद्वान था वह। शूर्पणखा नाशिक के वनों से होती हुई लंका पहुँची और उसने रावण से कहा : \"भैया ! एक अत्यंत रूपवती रमणी को देखकर आयी हूँ। वह बिल्कुल तुम्हारे योग्य है। दो वनवासी उसके साथ हैं, तीसरा कोई नहीं है। यदि तुम ला सको तो...\"
साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण
(गतांक के 'कृपासिंधु गुरुवर सिखाते व्यवहार में वेदांत' से आगे)
वास्तविक विजय प्राप्त कर लो
१२ अक्टूबर : विजयादशमी पर विशेष
ॐकार-उच्चारण का हैरतअंगेज करिश्मा!
एक ए. सी. पी. का निजी अनुभव
सच्चे संत स्वयं कष्ट सहकर भी सत्य की रक्षा करते हैं
आज हम देखते हैं कि धर्म-विरोधी तत्त्वों द्वारा साजिश के तहत हमारे निर्दोष हिन्दू साधु-संतों की छवि धूमिल करके उनको फँसाया जा रहा है, उन्हें कारागार में रखा जा रहा है। ऐसी ही एक घटना का उल्लेख स्वामी अखंडानंदजी के सत्संग में आता है, जिसमें एक संत की रिहाई के लिए एक अन्य संत के कष्ट सहन की पावन गाथा प्रेरणा-दीप बनकर उभर आती है :
विषनाशक एवं स्वास्थ्यवर्धक चौलाई के अनूठे लाभ
बारह महीनों उपलब्ध होनेवाली तथा हरी सब्जियों में उच्च स्थान प्राप्त करनेवाली चौलाई एक श्रेष्ठ पथ्यकर सब्जी है। यह दो प्रकार की होती है : लाल पत्तेवाली और हरे पत्तेवाली।