रावण बोला : “यह क्या कठिन है ! उस वन में खर और दूषण बैठे हैं। उनकी सेना विद्यमान है, अभी उन्हें आज्ञा भेजता हूँ।"
शूर्पणखा : "नहीं भैया ! उन्हें आज्ञा भेजने से कुछ होगा नहीं। उन वनवासियों में एक है राम, उसने खर और दूषण को समाप्त कर दिया है, उनकी सारी सेना भी नष्ट-भ्रष्ट कर दी है।"
रावण : ‘“ऐसी बात है तो मैं स्वयं जाता हूँ अपने हथियार लेकर।"
"हथियार ले जाओगे तो भी कुछ काम बनेगा नहीं। राम और लक्ष्मण बहुत शक्तिशाली हैं। उस रूपवती सीता को लाना है तो इसके लिए छल करना होगा।”
"तो क्या करूँ?"
Denne historien er fra September 2024-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
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कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
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(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।