पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
Rishi Prasad Hindi|December 2024
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
स्वामी अखंडानंदजी
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान

शंका : पंचकोषों से व्यतिरिक्त कोई आत्मा अनुभव में नहीं आता । फिर 'मैं आत्मा इन कोषों से पृथक् हूँ' यह अनुभव कैसे हो?

समाधान : यह ठीक है कि अहं प्रत्यय इन्हीं पाँच कोषों के अंतर्गत उपलब्ध होता है किंतु आत्मा अहं-प्रत्यय नहीं है, अहं प्रत्यय का साक्षी है। साक्षी कोषातीत है और सारे कोषों का अनुभव उसीसे होता है। साक्षी किसी कोष में नहीं रहता, उलटे सभी कोषों का अधिष्ठान (आधार) यही साक्षी है।

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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली

ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।

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पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
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हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
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पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
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'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष

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१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष

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आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !

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ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
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एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"

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