जब अचानक मन हुआ कि लौकडाउन में काफी बंद बैठ लिए, अब थोड़ा घूमा जाए, कहीं घूम कर आया जाए तो सौ चीजें सामने थीं. भारत में तो काफी घूमा जा चुका है, अगर बाहर जाते हैं तो इतनी जल्दी वीजा नहीं मिलेगा, क्या किया जाए, यह सोचते हुए सब गूगल छानते रहे, आजकल तो गूगल है ही हर मरज की दवा. हर मुश्किल का हल. फिर वे जगहें देखीं गईं जहां 'वीजा औन अराइवल' की सुविधा है और ऐसी जगह भी चाहिए थी जहां की फ्लाइट बहुत लंबी न हो. तो सर्वसम्मति से थाईलैंड फाइनल हुआ.
फौरन एक एजेंसी सब पूछताछ की और उन के माध्यम से ही 10 दिन का पैकेज लिया गया. आजकल इस बात से बहुत आराम हो गया है कि टूर्स ऐंड ट्रैवल्स कंपनीज की सुविधा लेने से यात्राएं आसान हो जाती हैं. नई जगह कहां भटकेंगे, इस बात की चिंता नहीं रहती. फ्लाइट बुक करने से ले कर होटल, टैक्सी, खानापीना सब में आराम हो जाता है.
तो बस हम पतिपत्नी सुबह 5 बजे की मुंबई से फुकेट की 4 घंटे 40 मिनट की फ्लाइट पकड़ कर फुकेट पहुंचे, कहने को ही 4:30 घंटे की फ्लाइट थी, इस के लिए हमें रात 12 बजे ही ठाणे यानी घर से निकलना पड़ा था क्योंकि इंटरनैशनल फ्लाइट्स के लिए बाकी औपचारिकताओं के लिए एअरपोर्ट जल्दी पहुंचना होता है.
मस्ती और मजा
फुकेट एअरपोर्ट पर वीजा लेने वालों की लंबी लाइन थी. लाइन में मेरे पीछे पता है कौन था ? मुजफ्फरनगर का कोई लड़का अपनी नईनवेली पत्नी के साथ. सोच कर देखिए, थाईलैंड में लाइन में आप के पीछे मायके के शहर का कोई इंसान फोन पर बात कर रहा हो और आप को समझ आ जाए कि लो, भई, यहां पीछे वाले मायके से हैं. मन ही मन मुसकराते हुए मैं ने उन की फोन पर बातें सुनीं. लड़का अपने पैरेंट्स को सारी जानकारी दे रहा था और उस की भाषा और बातों से साफसाफ पता चल चुका था कि हां, मायके की तरफ का ही है.
मैं ने आगे खड़े अपने पति से कहा, "अपने साले से मिलना है?”
वे समझ गए कि कोई जोक आ रहा है, हंस कर बोले, "नहीं, मन नहीं."
This story is from the June Second 2023 edition of Grihshobha - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the June Second 2023 edition of Grihshobha - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी
इस ढकोसलेबाजी को क्यों बंद किया जाए कि जिम जाना या वजन उठाना महिलाओं का काम नहीं.....
लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर
फोटोग्राफी के क्षेत्र में पहले केवल पुरुषों का अधिकार था, लेकिन अब इस क्षेत्र में लड़कियां भी बाजी मारने लगी हैं....
समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिए बौडी डिटोक्स के साथ डिजिटल डिटौक्स भी जरूरी है....
पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं
मासिकधर्म के दौरान क्या खाना सही रहता है और क्या गलत, यहां जानिए...
पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस
जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते की मजबूती को बिगाड़ सकती है. ऐसे में क्या करें कि ताउम्र खुशहाल रहें....
औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी
औफिस में पहला दिन है, जानें कुछ जरूरी बातें....
क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर
क्या आप का बच्चा जिद्दी है, बातबात पर तोड़फोड़ करता है और खुद को नुकसान पहुंचा लेता है, तो जानिए वजह और निदान....
जब मन हो मंचिंग का
फ़ूड रेसिपीज
सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी
अगर आप भी सस्ते के चक्कर में खरीदारी करने का शौक रखते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है....
डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता
पिस्ता सिर्फ एक गार्निश नहीं, एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है....