क्या है कौग्निटिव ओवरलोडिंग
Grihshobha - Hindi|March Second 2024
जब समय कम और काम ज्यादा हो, तो कुछ काम अधूरे छूट जाते हैं. अगर आप के साथ भी ऐसी स्थिति आती है और आप खुद को तनाव में महसूस करते हैं, तो जरा यह भी जान लीजिए...
शोभा कटारे
क्या है कौग्निटिव ओवरलोडिंग

आजकल की भागदौड़ भरी दिनचर्या में सभी को बस एक ही शिकायत है कि यह काम करने समय का ही नहीं मिला यानी आज समय कम और काम ज्यादा हैं जिस के कारण कुछ काम अधूरे ही छूट जाते हैं. इसे आजकल की शब्दावली में कौग्निटिव ओवरलोड कहा जाता है.

कौग्निटिव ओवरलोड एक तरह की मानसिक थकावट की एक स्थिति है जो तब होती है जब हमारी वर्किंग मैमोरी पर लोड उस की क्षमता से अधिक हो जाता है और वह चीजों को याद नहीं रख पाती.

आजकल बच्चे हों या बड़े सभी दबाव में हैं. सभी के पास सूचनाओं और जानकारी की भरमार है. दिनभर इंटरनैट, सोशल मीडिया पर आती खबरें, जानकारी, अलर्ट और नोटिफिकेशन उन की मैमोरी को भरने का काम करते रहते हैं और दिमाग को पूरा समय व्यस्त रखते हैं जिस के कारण हमारी मैमोरी ओवरलोड हो रही है और हमें चीजों को याद करने में परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है.

सिर्फ वही जानकारी या काम याद रख पा रहे हैं जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा हैं या जिन कामों को हम रोज कर रहे हैं जैसे कंप्यूटर को शटडाउन करना, औफिस जाते समय घर को लौक करना, लाइट्स बंद करना, औफिस से घर लौटते समय दूध, ब्रेड आदि सामान लेना और व्यवस्थित रखना. यदि इस के आलावा कोई और ऐक्स्ट्रा काम यदि बीच में आ जाए तो उसे करने और याद रखने में परेशानी हो रही है क्योंकि यह ऐक्स्ट्रा काम हमारी औटोमैटिक मैमोरी का हिस्सा नहीं है.

This story is from the March Second 2024 edition of Grihshobha - Hindi.

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