सैक्स के बिना नीरस है दांपत्य
Grihshobha - Hindi|June First 2024
सैक्स को ले कर अकसर गलत और भटकाने वाली बातें होती हैं. मगर क्या आप जानते हैं इसके फायदों के बारे में...
शाहाना परवीन
सैक्स के बिना नीरस है दांपत्य

दोस्तो, सैक्स एक प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक क्रिया है जिस में 2 परस्पर सहमति देने वाले वयस्क व्यक्तियों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित होता है. विवाह के बाद यह पतिपत्नी के बीच होने वाली एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है जो दो लोगों को और समीप लाती है. संतान उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अपने पार्टनर को सुख व शांति प्रदान करती है.

सैक्स किसी भी विवाहित जोड़े के लिए अच्छा व उपयोगी माना गया है. वहीं इसे जबरदस्ती करना ठीक नहीं माना जाता. हम यहां बात कर रहे हैं पतिपत्नी और सैक्स की. एक लड़की जब विवाह कर दूसरे परिवार में आती है तो उस के लिए सबकुछ बिलकुल नया व अनजान होता है. उसे वहां कुछ भी समझ में नहीं आता कि क्या करे? ऐसे में उस का जीवनसाथी उसका हौसला बढ़ाता है और उस की मदद करता है, तब जा कर वह लड़की उस नए घर में एडजस्ट कर पाती है.

पतिपत्नी के रिश्ते में जहां विश्वास व अपनापन आवश्यक है वहीं सैक्स भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है विशेषकर विवाह के बाद. सैक्स एक ऐसी प्रक्रिया है जो पतिपत्नी की सहमति से ही उचित समझी जाती है. पति को अपनी पत्नी पर जबरदस्ती सैक्स करने का दबाव नहीं डालना चाहिए और न ही पत्नी को कभी ऐसा करना चाहिए.

सफल जीवन की कुंजी

सैक्स के बिना जीवन नीरस है ऐसा केवल हम ही नहीं बल्कि अनेक डाक्टर व चिकित्सक मानते हैं और वास्तव में ऐसा है भी. हम ने ऐसे बहुत से पतिपत्नी देखे हैं जिन का वैवाहिक जीवन बरबाद हो चुका है सिर्फ सैक्स संबंध बनाने में परेशानी और असंतुष्टि की वजह से. आजकल वातावरण बहुत बदल चुका है.

पहले इस विषय पर बात करना संभव नहीं था लोग कतराते थे, शर्माते थे परंतु आज इस में दोराय नहीं है कि यौन संबंध को ले कर भारतीय समाज में खुलापन लगातार बढ़ता जा रहा है, यहां तक कि यौन संबंध बनाने और सैक्स की इच्छा का इजहार करने में भी लोगों को अब हिचकिचाहट महसूस नहीं होती, फिर भी तमाम लोगों के लिए यह किसी वर्जना से कम नहीं है. पर आज भी बहुत से युवाओं में चाहे वे पुरुष हों या महिलाएं, सैक्स पर खुल कर चर्चा नहीं कर पाते. मन की इच्छा मन ही में रखते हैं.

This story is from the June First 2024 edition of Grihshobha - Hindi.

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