Panchjanya - October 02, 2022
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Bu konuda
राम अनंत
राम कथा अनंता
इस लोक की थाती राम हैं और व्यक्ति भी राम. दशहरा के अवसर पर
उनकी अकथ- कथाओं, प्रसंगों में से कुछ दुर्लभ अल्पज्ञात प्रकरणों को सामने रखता पाञ्चजन्य का यह आयोजन
राम अनंत राम कथा अनंता
महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में कही गई श्री रामकथा को अनेक स्थानीय भाषाओं में लिखा गया है। हर भाषा की रामकथा में कुछ प्रसंग भिन्न हैं या अलग ढंग से लिखे गए हैं। हर एक में श्रीरामकथा में कुछ अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग हैं। विजयादशमी के अवसर पर हम पाठकों के लिए देश के विभिन्न राज्यों की विभिन्न भाषाओं में लिखित रामकथा से कुछ दुर्लभ प्रसंग प्रस्तुत कर रहे हैं। मानस शिरोमणि डॉ. नरेंद्र कुमार मेहता ने विभिन्न रामायणों से इन दुर्लभ प्रसंगों का चयन किया है
3 mins
शिकंजे में पीएफआई
आतंकियों और कट्टरपंथियों की कमर तोड़ने के लिए एनआईए ने देश के 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापेमारी कर पीएफआई के 100 से अधिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है
4 mins
वक्फ कानून, 1995 मजहब और मनमानी
वक्फ कानून 1995 से वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार मिले हैं। इसकी आड़ में बोर्ड मनमाने ढंग से जमीनें अपने कब्जे में ले रहे हैं। इस कानून से न सिर्फ भू जिहाद को बढ़ावा दिया जा रहा है बल्कि इस संस्था को एकाधिकार प्रदान कर भारत भू संसाधन पर मुस्लिमों का वर्चस्व स्थापित किया जा रहा है
2 mins
हिंदू जमीन पर वक्फ का कब्जा
तमिनलाडु में त्रिची के पास स्थित तिरुचेंदुरई गांव में लगभग 95 प्रतिशत हिंदू हैं और वहां 1,500 वर्ष पुराना एक मंदिर भी है। वक्फ बोर्ड ने चुपके से गांव की जमीन और मंदिर को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है
2 mins
सिंदूर देख 'लाल' हुए ईसाई
पटना के एक विद्यालय में हिंदू शिक्षिकाओं को सिंदूर और बिंदी लगाने के लिए वहां की प्राचार्य फटकार लगाती हैं, वहीं धनबाद में मिशनरी के लोग हिंदू महिलाओं से कहते हैं कि अपने माथे पर सिंदूर लगाना बंद करो और ईसाई बन जाओ
2 mins
दिल्ली का शिक्षा - मॉडल न पैसा न पद
अपने शिक्षा मॉडल का ढिढोरा पीटने वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से 12 कॉलेज नहीं संभल रहे। इन कॉलेजों में न तो नए शिक्षकों की भर्ती हो रही है, न ही अस्थायी शिक्षकों को स्थायी किया जा रहा है। पदोन्नति तो दूर, शिक्षकों को समय पर वेतन तक नहीं मिल रहा
4 mins
यही समय है, सही समय है
परिवार राष्ट्र की सबसे प्रारंभिक इकाई है। परिवार ही वह इकाई है जो संस्कृति को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाती है। पर आज के उपभोक्तावादी और व्यक्तिवादी दौर में जीवन मूल्य बदल गए हैं जिससे परिवार संस्था के प्रति दुराग्रह बढ़ा है
6 mins
सारे जमीन पर
2016 से आमिर खान की फिल्मों की कमाई के लगातार घटने से उनकी साख तेजी से गिरी। नई फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' ने तो जैसे उनकी कमर ही तोड़ दी। वहीं बॉलीवुड की बड़ी बजट और बड़े बैनर वाली फिल्में लगातार पिट रही हैं, जबकि दक्षिण की फिल्में सफलता के नए आयाम गढ़ रहीं। यानी दर्शक बॉलीवुड के बासीपन से ऊब गए हैं
8 mins
Panchjanya Magazine Description:
Yayıncı: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
kategori: Politics
Dil: Hindi
Sıklık: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
- İstediğin Zaman İptal Et [ Taahhüt yok ]
- Sadece Dijital