Panchjanya - October 09, 2022Add to Favorites

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Bu konuda

लोक का पर्व
परंपराओं का मर्म
गुवाहाटी में संपन्न लोक-विमर्श के सबसे बड़े उत्सव को सामने रखता पाञ्चजन्य का विशेष आयोजन

पीएफआई प्रतिबंधित

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी संगठन पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों को गैरकानूनी घोषित करते हुए 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। केंद्रीय एजेंसियों की दो दौर की छापेमारी के बाद सरकार ने यह कदम उठाया

पीएफआई प्रतिबंधित

2 mins

लोक का पर्व परंपराओं का मर्म

लोकमंथन 2022

लोक का पर्व परंपराओं का मर्म

5 mins

'भारत जोड़ो' से पार्टी तोड़ो तक

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के संदर्भ में जयपुर से उठी चिन्गारी से बहुत से सवाल उठते हैं। पार्टी में संवादहीनता, मजबूत निर्णयों का अभाव, स्थितियों का आकलन न कर पाना, बचकाने तौर-तरीके, फलतः लगातार वरिष्ठ नेताओं का पलायन बताता है कि हाईकमान का रसूख घटता जा रहा है।

'भारत जोड़ो' से पार्टी तोड़ो तक

2 mins

सेहत का तंत्र लाइलाज!

क्योंझर जिले में बीते दिनों 13 शिशुओं की मौत ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही और कुपोषण को फिर से उजागर कर दिया है। क्योंझर में राज्य का 75 प्रतिशत लौह अयस्क पाया जाता है। खनन कंपनियां जिला खनिज निधि में हजारों करोड़ रुपये जमा कराती हैं। केंद्र भी पैसा देता है, फिर भी स्थिति जस की तस

सेहत का तंत्र लाइलाज!

5 mins

'मुल्लाओं का इस्लाम हारेगा'

ईरान में महसा अमीनी की हत्या के बाद उग्र हुए हिजाब आन्दोलन ने उस देश को झुलसाकर रख दिया है। मुस्लिम महिलाएं हिजाब फेंक रही हैं, आग लगा रही हैं, बाल काट रही हैं और ईरानी सरकार के सड़े-गले कानून को डटकर चुनौती दे रही हैं। आन्दोलन की आग धीरे-धीरे दूसरे देशों तक पहुंच रही है। दुनिया ईरानी महिलाओं के समर्थन में आ खड़ी हुई है। इस्लाम में हिजाब-बुर्का, महिला अधिकार और बढ़ते कट्टरपन जैसे विभिन्न सामयिक विषयों पर बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन से पाञ्चजन्य के विशेष संवाददाता अश्वनी मिश्र ने विस्तृत बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के संपादित अंश -

'मुल्लाओं का इस्लाम हारेगा'

3 mins

ईरानी महिलाओं पर नारीवादी चुप्पी

ईरान में 80 से ज्यादा शहरों में हिजाब के विरुद्ध महिलाओं के सड़क पर उतरने के बाद यह आग अन्य मुस्लिम देशों और दुनिया के विभिन्न मुल्कों में फैल गई है। परंतु कर्नाटक केरल में हिजाब पहनने को औरत की आजादी बताने वाली भारत की वामपंथी-नारीवादी जमात द्वंद्व में फंसी है और ईरान के मसले पर चुप्पी साधे है

ईरानी महिलाओं पर नारीवादी चुप्पी

5 mins

'सोना लेकर बख्शी जान'

विभाजन की विभीषिका

'सोना लेकर बख्शी जान'

2 mins

बुरे न फंसें एप्प डाउनलोड करके!

हम अपनी लापरवाही या अनभिज्ञता के कारण कई ऐसे एप्प इंस्टाल कर लेते हैं जो हमारा फोन हैक कर नियंत्रण किसी और के हाथ में दे देते हैं और नुकसान हमें उठाना पड़ता है

बुरे न फंसें एप्प डाउनलोड करके!

3 mins

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Panchjanya Magazine Description:

YayıncıBharat Prakashan (Delhi) Limited

kategoriPolitics

DilHindi

SıklıkWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

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