Modern Kheti - Hindi - October 15, 2023Add to Favorites

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Solar System in Agricultral

उदयपुर में प्रताप संकर मक्का-6 की नई किस्म विकसित

उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने नई संकर किस्म प्रताप संकर मक्का-6 विकसित की है।

उदयपुर में प्रताप संकर मक्का-6 की नई किस्म विकसित

2 mins

जीएम सरसों फेल, बीज के लिए पूरा नहीं कर रही मानक

पिछले कुछ सालों से जीएम सीड्स यानि जैनेटिकली मॉडिफाइड बीज को लेकर हंगामा मचा हुआ है। जीएम के समर्थकों की ओर से दावा किया जा रहा है कि इससे देश में सरसों का उत्पादन बढ़ जाएगा।

जीएम सरसों फेल, बीज के लिए पूरा नहीं कर रही मानक

2 mins

टर्बो-चार्ज्ड प्रकाश संश्लेषण फसलों को तेजी से बढ़ने में करेगा सहायता

टर्बो-चार्ज प्रकाश संश्लेषण एक अवधारणा है जो पौधों में उनकी वृद्धि और फसल की पैदावार में सुधार के लिए प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को बढ़ाने को संदर्भित करती है। पौधे और साइनोबैक्टीरिया दोनों प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड को शर्करा में बदलने के लिए रुबिस्को का उपयोग करते हैं, जो आवश्यक जीवन घटकों को उत्पन्न करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।

टर्बो-चार्ज्ड प्रकाश संश्लेषण फसलों को तेजी से बढ़ने में करेगा सहायता

2 mins

भारत में कीटों से फसलों को होता है दो लाख करोड़ का नुकसान

क्रॉपलाइफ इंडिया ने अपनी 43वीं वार्षिक आम बैठक के अवसर पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरान क्रॉपलाइफ इंडिया और यस बैंक की नॉलेज रिपोर्ट जारी की गई।

भारत में कीटों से फसलों को होता है दो लाख करोड़ का नुकसान

2 mins

कीट अनाज उत्पादन में डालते हैं योगदान

मानवजनित बदलावों से पूरे भारत में आक्रामक प्रजातियों की कब्जा करने की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। अन्य पर्यावरणीय कारणों के प्रभाव को मोटे तौर पर सूखी और नमी वाली प्रणालियों में अलग किया जा सकता है।

कीट अनाज उत्पादन में डालते हैं योगदान

2 mins

पर्यावरण के लिहाज से कितना सही है कृषि में प्लास्टिक का उपयोग

इसमें कोई शक नहीं कि आधुनिक कृषि प्लास्टिक पर बहुत ज्यादा निर्भर है। यही वजह है कि हर साल करीब 1.25 करोड़ टन प्लास्टिक कृषि क्षेत्र में खप जाती है। लेकिन इसके पर्यावरण पर क्या दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं यह लम्बे समय से एक बड़ा सवाल रहा है।

पर्यावरण के लिहाज से कितना सही है कृषि में प्लास्टिक का उपयोग

3 mins

अनाज उत्पादन में 6.5 प्रतिशत का योगदान करते हैं केंचुए

कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी (सीएसयू) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार, केंचुए वैश्विक खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हर साल दुनिया भर में पैदा होने वाले लगभग 6.5 प्रतिशत अनाज की उपज और 2.3 प्रतिशत फलियों में योगदान करते हैं। सीएसयू शोधकर्ताओं के इन नए अनुमानों का मतलब है कि केंचुए सालाना 14 करोड़ मीट्रिक टन भोजन का उत्पादन कर सकते हैं, मोटे तौर पर विश्व के चौथे सबसे बड़े उत्पादक रूस द्वारा हर साल उगाए गए अनाज जैसे - चावल, गेहूं, राई, जई, जौ, मक्का और बाजरा की मात्रा के बराबर है।

अनाज उत्पादन में 6.5 प्रतिशत का योगदान करते हैं केंचुए

2 mins

बागवानी विज्ञानी डॉ. थॉमस एंड्रयू नाईट

डॉ. थॉमस एंड्रयू नाईट अठारहवीं एवं उन्नीसवीं सदी के अग्रणी माहिरों में से एक थे। उन्होंने उस समय पौधों पर मनोवैज्ञानिक प्रयोग भी किये। उन्होंने अंकुरित हो रहे पौधों पर गुरुत्वकर्षण के प्रभाव के बारे में भी बताया। उन्होंने यह भी बताया कि वृक्षों को काटने से वृक्षों पर क्या प्रभाव पड़ता है। उनका अनुभव करने का उद्देश्य पूरी तरह से व्यवहारिक था।

बागवानी विज्ञानी डॉ. थॉमस एंड्रयू नाईट

2 mins

मौसम की अनिश्चितकालीन संकटों से बचाएगा 'मेघदूत'

भारत सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि तकनीक के सहारे उन्नत खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जा सके। डिजिटल इंडिया के तहत खेतीबाड़ी एवं उनसे जुड़ी तमाम योजनाओं, परियोजनाओं एवं सूचनाओं को किसानों तक पहुंचाना भी सरकार की उसी प्राथमिकता का हिस्सा है।

मौसम की अनिश्चितकालीन संकटों से बचाएगा 'मेघदूत'

5 mins

कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं

भारत की उत्तरोत्तर बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता पारंपरिक ऊर्जा-स्त्रोतों के लिए एक कठिन चुनौती है। इस दिशा में प्रकृति सुलभ सौर ऊर्जा एक बड़ी और प्रभावी भूमिका निभा सकती है। जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में परिवर्तन महत्वपूर्ण है। भारत ने स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के महत्व को पहचाना है।

कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं

4 mins

रागी श्रीअन्न: स्वास्थ्य लाभ और मूल्य वर्धित उत्पाद

फिंगर मिलेट (एलुसीन कोराकाना), जिसे रागी के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण श्रीअन्न है जो कर्नाटक में बड़े पैमाने पर और कुछ हद तक आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और गोवा में उगाया जाता है।

रागी श्रीअन्न: स्वास्थ्य लाभ और मूल्य वर्धित उत्पाद

2 mins

बीज परिसंस्करण में ट्राइकोडर्मा का महत्व

वातावरण के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि यह विशेष तरीके से वनस्पतियों के प्रबंधन के लिए आयुर्वेदिक परंपरागत तकनीक है और इसका वैज्ञानिक प्रमाण मान्यता से बाहर हो सकता है। यदि आप इसे अपने उद्यम में आजमाना चाहते हैं, तो सलाह प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञ से मिलना सुनिश्चित करें।

बीज परिसंस्करण में ट्राइकोडर्मा का महत्व

5 mins

कृषि से जुड़ी आबादी को मिले विकास का फायदा

सरकार साल में दो बार, रबी और खरीफ सीजन के लिए अलग-अलग घोषित करती है, भी हमेशा सवालों के घेरे में रही है। जबकि सीएसीपी उत्पादन लागत और समग्र मांग पूर्ति की स्थिति के लिए अखिल भारतीय भारित औसत के आधार पर कीमतें तय करता है और वैश्विक कीमतों को भी देखता है, इस पद्धति पर लगातार सवाल उठे हैं।

कृषि से जुड़ी आबादी को मिले विकास का फायदा

5 mins

रूबर्ब की उन्नत उत्पादन तकनीक

'रूबर्ब और पाई पौधा', जिसे रयूम रैपोंटिकम एल के नाम से भी जाना जाता है और यह पॉलीगोनेसी परिवार का सदस्य है। डिप्लोइड (2n = 2x = 22), टेट्राप्लोइड (2n = 4x = 44), या हेक्साप्लोइड (2n = 6X = 66) रूम प्रजातियां तीन संभावित रूप हैं। लंबे, मोटे पत्ते का डंठल, जिसे अक्सर पेटीओल कहा जाता है, का उपयोग पाई और सॉस बनाने के लिए किया जाता है।

रूबर्ब की उन्नत उत्पादन तकनीक

2 mins

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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:

YayıncıMehram Publications

kategoriBusiness

DilHindi

SıklıkFortnightly

Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.

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