CATEGORIES
Kategoriler
कृषि विधेयक क्यों हो रहा है विरोध?
कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने तथा किसानों को अपनी पसंद की जगह पर फसल बेचने की अनुमति देने संबंधी तीन कृषि विधेयकों को संसद् ने पारित कर दिया। राष्ट्रपति से इन विधेयकों को अनुमति मिलने के पश्चात यह कानून बन गया है।
आधुनिक भारत व स्वतंत्रता संग्राम
औपनिवेशिक भू-राजस्व व्यवस्था
जूम वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग ऐप पर विवाद
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 16 अप्रैल, 2020 को जूम वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग ऐप के इस्तेमाल के बारे में दो पृष्ठों का परामर्श जारी किया। यह परामर्श मंत्रालय के अधीन 'साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर' (साइकॉर्ड) ने जारी किया और 'इंडियन कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम' (सीईआरटी-इन) का हवाला दिया गया।
तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की बाढ़ से लड़ने की क्षमता
तटीय क्षेत्र कई मानव जनित चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें जल निकायों का अतिक्रमण भी शामिल है, जो उनकी बाढ़ से टालने की क्षमता को बाधित करता है। मुंबई, चेन्नई और कोच्चि के तटीय शहरों में हाल की बाढ़ इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। भले ही सरकार ने 1991 में तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना जारी की हो, लेकिन इसका क्रियान्वयन एक चुनौती है। कोच्चि में चार लक्जरी अपार्टमेंट परिसरों, जिनका निर्माण सीआरजेड अधिसूचनाओं का उल्लंघन था, को गिराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का हालिया आदेश एक अपवाद है।
भारत में जाति व्यवस्था की प्राचीनता और निरंतरताः एक दलित परिप्रेक्ष्य
हजार वर्षों से अधिक समय से भारत में जाति व्यवस्था क्यों जारी है, यह एक ऐसा सवाल है जो बहुतों को चकित करता है। इसे समझने के लिए हमें अपने अतीत पर ध्यान देना होगा और जानना होगा कि पीढ़ी दर पीढ़ी इसे कैसे हस्तांतरित किया जाता रहा है। ज्यादातर लोग जो इससे इंकार करते हैं, वे व्याख्या करते हैं कि यह केवल विवाह में एक भूमिका निभाती है। तो क्या सजातीय विवाह जाति व्यवस्था के बनाये रखने के लिए एकमात्र सबसे बड़ा कारक नहीं है? इसलिए इस प्रणाली को जीवित रखने वाले कारकों पर फिर से प्रकाश डालने की जरूरत है और यह जानने की भी जरूरत है कि वे कौन से कारक हैं जो आज भी इसे पोषण प्रदान कर रहा है? जाति व्यवस्था की अभिव्यक्ति और इससे जुड़ी असमानता और हिंसा काफी व्यापक हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था
बारह वर्षों के पश्चात भारत का चालू खाता का घाटा सकारात्मक
मध्य वर्ग-बिना किसी वर्ग का एक वर्ग
यदि कोई एक चीज जो भारत में ‘वर्ग' के प्रश्न को चरितार्थ करता है, वह है मध्य वर्ग का लेबल लगना व इसमें शामिल होने की आकांक्षा। यही अवधारणा मध्यम वर्ग की श्रेणी को एक सर्व-विस्तारवादी बनाता है और कुछ हद तक एक मिश्रित थैला भी। इस उभड़ा हुआ और विकृत मध्य वर्ग के परिणामस्वरूप, इसके नीचे के बहुत कम परिभाषित या सीमांकित निम्न या कामकाजी वर्ग को ढक लेने की तथा इससे ऊपर के विशेषाधिकार प्राप्त मलाईदार ऊपरी वर्ग से ध्यान हटाने की प्रवृत्ति रही है। अपनी अस्पष्टता के संदर्भ में भारत में ‘वर्ग' प्रश्न की भ्रामक प्रकृति, अंतर-पारस्परिकता के कारण जाति रूपी एक अन्य बदनुमा स्तरीकरण की वजह से जटिल हो जाती है।
समुद्र तटीय समुदाय के लिए महासागर स्थिति पूर्वानुमान सेवाएं
उत्तरी हिंद महासागर में भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास पूर्ण प्रचालित महासागर स्थिति पूर्वानुमान (ओएसएफ) सेवाएं हैं। यह अपतटीय और तट के निकट की गतिविधियों, दोनों के लिए समुद्र में सुचारू संचालन के लिए लाखों उपयोगकर्ताओं का समर्थन करता है। ईएसएसओ-इंकॉइस की ओएसएफ सेवाएं सटीक, समयोचित पूर्वानुमान और परामर्श के साथ उच्च वैश्विक मानक की हैं। वे एक मजबूत स्व-स्थाने और उपग्रह प्रेक्षणों के साथ-साथ बहु-मॉडल अनुकरण के साथ अत्याधुनिक गणनांक सुविधाओं द्वारा समर्थित हैं। सुपरिभाषित प्रसार प्रणाली के निर्माण के लिए यह ये सेवाएं नवीनतम सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उपकरणों को समाहित करती हैं। ईएसएसओ-इंकॉइस ने उपयोगकर्ता सुझाव के आधार पर प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान निर्माण के लिए अपने सामान्य पूर्वानुमानों को व्यवस्थित किया है। इसकी हालिया सेवा समुद्र में काफी दूर मछली पकड़ने वाली नौकाओं तक भी पहुंच रही है और ये प्रणालियां 'नैविगेशन विद् इंडियन कॉन्सटिलेशन' (नाविक) और 'गगन इनेबल्ड मैरीनर इंस्ट्रूमेंट फॉर नेविगेशन एंड इंफॉर्मेशन' (जेमिनी) के माध्यम से समर्थित हैं। ईएसएसओ-इंकॉइस क्षेत्र की ब्लू इकोनॉमी के उपयोग के लिए बढ़ती जरूरतों में सक्रिय मददगार की भूमिका निभाता है
महासागर डेटा और सूचना प्रणाली-ओडीआईएस
डेटा एवं डेटा उत्पादों के प्रसार के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित अनुप्रयोग महासागर डेटा और सूचना प्रणाली (ओडीआईएस) ईएसएसओ-इंकॉइस में डिजाइन, विकसित और क्रियान्वित किया गया। यह वेब पर संवादात्मक मानचित्रण अनुप्रयोगों (इंटरेटिक्व मैपिंग एप्लिकेशन) के साथ स्थानिक (स्पैटियल) डेटा प्रकाशित करने के लिए एक ओपन सोर्स प्लेटफार्म है। माईएसक्युएल बैकएंड डेटाबेस के रूप में कार्य करता है। यह लेख महासागरविज्ञान डेटा से जुड़े भंडारण, संगठन विवरण और डेटा विजुअलाइजेशन प्रस्तुत करता है। ओडीआईएस को एंड-टू-एंड सिस्टम के रूप में स्थापित किया गया है जिसमें विषमरूपी प्लेटफार्मों से डेटा प्राप्ति, प्रसंस्करण और एकीकरण, गुणवत्ता नियंत्रण और अनुसंधान और विकास के लिए प्रसार शामिल हैं।
भारतीय सुनामी पर्व चेतावनी प्रणाली
हिंद महासागर सुनामी, जो 26 दिसंबर, 2004 को सुमात्रा-अंडमान भूकंप के कारण उत्पन्न हुआ था, ने 2,30,000 लोगों की जाने ले ली और हिंद महासागर के कई तटीय देशों में बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान पहुंचाया। वास्तव में, 2004 की सुनामी तीव्रता के संदर्भ में सर्वाधिक शक्तिशाली और सर्वाधिक घातकों में से एक थी, और जिसने भारत में सुनामी के लिए एक पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता को परिप्रेक्ष्य में रखा। वर्ष 2004 की सुनामी के बाद, हिंद महासागर में भूकंप के कारण उत्पन्न होने वाली सुनामी पर पूर्व चेतावनी देने के लिए भारतीय सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली की स्थापना की गई थी। यह आलेख आईटीईडब्ल्यूएस के विभिन्न घटकों, निर्णय समर्थन प्रणाली और बुलेटिन का वर्णन करता है। यह मुद्दों, चुनौतियों और भावी विकास पर भी चर्चा करता है।
महासागर प्रेक्षण
मौसम और जलवायु का निर्धारण करने में महासागर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समुद्र की भौतिक और रासायनिक स्थिति समुद्री पर्यावासों और समुद्री जीवन के स्वास्थ्य का निर्धारण करने के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए स्व-स्थाने (इन-सीटू) महासागर प्रेक्षण प्लेटफार्मों द्वारा एकत्र किए गए डेटा के माध्यम से विभिन्न समय पैमानों पर समुद्र स्थिति में भिन्नता के कारणों को समझना अनिवार्य है। इसके अलावा, स्व-स्थाने प्रेक्षण नेटवर्क के माध्यम से प्राप्त ज्ञान, महासागर स्थिति पूर्वानुमान प्रणालियों के विकास में निर्माण खंड के रूप में कार्य करता है। इन पहलुओं पर विचार करते हुए ईएसएसओ-इंकॉइस, महासागर प्रेक्षण नेटवर्क (ओओएन) कार्यक्रम के तहत हिंद महासागर में विभिन्न स्व-स्थाने प्रेक्षण प्लेटफार्मों को बनाए रखता है। इन नेटवर्कों का सारांश इस लेख में संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
तटीय भेद्यता और जोखिम मूल्यांकन
भारतीय तट पर घनी आबादी प्रवाल पारितंत्रों को प्रभावित करती है और इन्हें प्राकृतिक और मानव निर्मित खतरों के प्रति अतिसंवेदनशील बनाती है। यह आलेख क्षेत्रीय और साथ ही सूक्ष्म स्तर पर महासागरीय आपदाओं के कारण होने वाली भौतिक भेद्यता (वलनरेबिलिटी) और सामाजिक-आर्थिक जोखिमों का आकलन करता है। अध्ययन में प्रवाल पारितंत्र पर समुद्री सतह तापमान (एसएसटी) के प्रभाव को भी शामिल किया गया है जो प्रवाल विरंजन जैसी परिघटना की ओर ले जाता है। भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) प्रौद्योगिकी के साथ संयुक्त सुदूर संवेदी डेटा, भारतीय तटों पर महासागरीय आपदाओं से जुड़ी तटीय भेद्यता व खतरों पर सार्थक सूचना उपलब्ध कराती है जो आपदा प्रबंधन के लिए अत्यधिक प्रासंगिकता रखती है।
डिजिटल महासागर
हम डिजिटल युग रह रहे हैं और उन्नत विश्लेषण और दृश्यात्मक विशेषताओं के साथ डेटा संचालित निर्णयन जीवन के सभी क्षेत्रों का एक अभिन्न अंग बन रहे हैं। महासागर विज्ञान में, विभिन्न महासागरीय प्रेक्षण प्रणालियों से प्राप्त समुद्री मौसम व महासागरीय डेटा को मॉडलों में डाला जाता है ताकि मौसम एवं महासागर स्थिति पूर्वानुमानों में सुधार लाया जा सके। किसी एकीकृत पर्यावरण में सुव्यवस्थित डेटा, इसके उपयोग को आधार देगा तथा महासागर संबंधी प्रक्रियाओं की बेहतर समझ में मदद करेगा। यह आलेख डिजिटल महासागर के विकास की प्रस्तुति है जो कि एक एकल मंच है जो कुशलता से विषम महासागर डेटा को एकीकृत करता है और बहु-विषयक दृष्टिकोण के माध्यम से महासागरों की बेहतर समझ को सुविधाजनक बनाने के लिए अत्याधुनिक दृश्यता और विश्लेषण प्रदान करता है।
अंतरिक्ष से मत्स्य खोज
हैदराबाद स्थित ईएसएसओ-इंकॉइस द्वारा प्रदान की जाने वाली संभाव्य मत्स्य ग्रहण क्षेत्र (पीएफजेड) परामर्श ने भारतीय तट पर मछुआरा समुदाय के जीवन और आजीविका में उल्लेखनीय बदलाव किया है। इसने मछली झुंड (शोल) की तलाश में लगे समय, प्रयास और ईंधन के संदर्भ में महत्वपूर्ण बचत की है, इस प्रकार लाभप्रदता और मछुआरों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। यह परामर्श सीओ2 उत्सर्जन में कमी करने में भी उपयोगी है, और इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान देता है। यह आलेख अग्रणी पीएफजेड तकनीक पर एक विहंगावलोकन प्रदान करता है जिसने समुद्री परामर्श और पूर्वानुमान सेवाओं की विश्वसनीयता में एक मील का पत्थर स्थापित किया है।
कोविड-19 का कृषि पर प्रभाव
कोविड-19 पैंडेमिक एक ओर जहां मानव स्वास्थ्य व प्रकारांतर से उसके जीवन पर संभवतः अब तक का सबसे खतरा साबित हो रहा है, तो दूसरी ओर वैश्विक अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है।
जलवायु अस्थिरता और भारत में श्रम प्रवासन
जलवायु-प्रेरित प्रवासन ने श्रम प्रशासन के लिए नई उभरती चुनौतियों को सामने रखा है। पहले से मौजूद क्षेत्रीय असमानताएं, मौजूदा गरीबी स्तर, हुए और मौजूदा श्रम कानूनों की आंशिक प्रकृति, आदि हमें जलवायु प्रवासियों की कमजोर स्थितियों के और बदतर होने के बारे में सचेत करते हैं।
डैटा बैंक भारत में सड़क अवसंरचना
सड़क परिवहन को भारत में अवसंरचना का आधार कहा जा सकता है। इसके कई कारण भी हैं।
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन व कोविड-19
कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग करने पर बहस विशेष रूप से तब आरंभ हुयी, जब यह खबर सामने आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 29 मिलियन खुराक का स्टॉक जमा कर लिया है।
योजनाएं और कार्यक्रम तथ्य व विश्लेषण
आगामी प्रारंभिक परीक्षाओं (संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोगों द्वारा आयोजित) के आलोक में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों का यहां संक्षिप्त तथ्यपरक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। इनमें सरकार की कुछ प्रमुख नवीनतम योजनाओं की अद्यतन स्थिति व सीमाएं भी शामिल हैं।
कोरोनावायरस कब-क्या-कैसे?
नोवेल कोरोनावायरस और उससे जनित रोग कोविड-19, 7 मार्च, 2020 तक विश्व के 118 देशों को अपनी चपेट में लिया था और इस तिथि तक 124,518 लोग संक्रमित हो चुके थे तथा 4607 लोगों की मौत हो चुकी थी (विश्व स्वास्थ्य संगठन)।
केरल बाढ़ 2018 सर्वश्रेष्ठ अभ्यास और सबक
वर्ष 2018 के केरल बाढ़ से सक्षम सर्वोत्तम अभ्यासों, सीखे गए सबक और भावी परिदृश्य पर पुनः अवलोकन आवश्यक है। इनमें आपदा जोखिम में कमी के लिए सामुदायिक प्रत्युत्तर और बाढ़ जोखिम प्रबंधन के लिए संस्थागत क्षमता निर्माण भी शामिल है। इस आलेख में इस समीक्षा का समर्थन करने के लिए आरंभिक प्रत्युत्तर के रूप में प्रथम प्रत्युत्तर देने वाली सामाजिक पूंजी के महत्व और फिर इस सामाजिक पूंजी को संस्थागत रूप देने की आवश्यकता का गंभीर रूप से विश्लेषण किया गया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का क्षेत्र
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भविष्य पर दो तरह की विचारधाराएं देखने को मिल रही हैं: एक तरफ नौकरियों के नुकसान और मानव-रोबोट संघर्ष संबंधी तर्क हैं तो दूसरी ओर जीवन के सभी रूपों पर इसके असाधारण प्रभाव संबंधी तर्क हैं।
आपदा बचाव का पारितंत्र आधारित द्रष्टिकोण
भारत तेजी से शहरी विस्तार के दौर से गुजर रहा है। बढ़ती आबादी, तीव्र विकास और आधारसंरचना विकास के साथ शहरी भारत आज आपदा के नए हॉटस्पॉट के रूप में उभरे हैं।
भारतीय कृषि में जैव उर्वरक
जैव उर्वरक नाइट्रोजन स्थिरकों, फास्फोरस विलेयकों आदि जैसे कृषीय रूप से उपयोगी सूक्ष्मजीवों से निर्मित पदार्थ हैं और एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन का एक घटक है। भारत में जैव उर्वरक का वाणिज्यिक उत्पादन 1956 में शुरु हुआ। 65 हजार टन उत्पादन और इसमें संलग्न 150 से अधिक वाणिज्यिक इकाइयों के साथ जैव उर्वरकों के उपयोग में लगातार वृद्धि हो रही है।
भारतीय संदर्भ में पोषण पर जलवायु परिवर्तन का प्राभाव
सतत विकास लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करना आवश्यक है। भारत सरकार और इसके साझेदारों के ठोस प्रयासों के बावजूद, कुपोषण गंभीर दरों पर बना हुआ है। जलवायु परिवर्तन, कृषि और पोषण के बीच के अंतर को समझना स्वास्थ्य और उत्पादकता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
महाराष्ट्र में एचटीबीटी कॉटन बीज की अवैध खेती
हाल में महाराष्ट्र की कई जगहों से 'कीटनाशक सह-ट्रांसजेनिक बीज' जिसे एचटीबीटी (Herbicide-Tolerant Transgenic Seeds: HTBt.) कहा जाता है की खेती की रिपोर्ट समाचारपत्रों में छपी थी।
भारत में स्वास्थ्य क्षेत्रक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की वर्तमान क्षमताएं, जो मुख्य रूप से डेटा संग्रह, भंडारण, कंप्यूटिंग और संचार प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाती हैं, विज्ञान मिथक के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। कई देशों की सरकारों ने अपनी एआई रणनीतियों की घोषणा की है। इस परिप्रेक्ष्य में, नीति आयोग ने 2018 में एक चर्चा पत्र जारी किया है जिसमें स्वास्थ्य सेवा को उच्च प्रभाव की संभावना वाले क्षेत्रों में से एक के रूप में रेखांकित किया गया है।
भारत में वन स्थिति रिपोर्ट 2019
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने 30 दिसंबर, 2019 को भारत वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा तैयार 'भारत में वन स्थिति रिपोर्ट 2019' (India State of Forest Report- ISFR 2019) जारी किया।
भारत में बहु-स्तरीय नियोजन
भारत जैसे संघीय शासन प्रणाली वाले देश में जहाँ प्रादेशिक और अन्तःप्रादेशिक विषमता व्यापक स्तर पर पायी जाती है वहाँ प्रादेशिक नियोजन के अन्तर्गत बहुस्तरीय नियोजन की प्रक्रिया का अपनाया जाना अत्यन्त आवश्यक है।
बेलगाम विवाद
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के साथ ही बेलगाम मुद्दा पर फिर से बहस आरंभ हो गई है। विवाद के फिर से उभरने के पश्चात कर्नाटक के बेलगाम एवं महाराष्ट्र के कोल्हापुर के बीच बस सेवा रोक दी गई।