जीरे की उन्नत खेती से अधिक लाभ प्राप्त करें
Modern Kheti - Hindi|15th October 2022
उन्नत तकनीकों के प्रयोग द्वारा जीरे की वर्तमान उपज को 25-50 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
डॉ. लखमा राम चौधरी और सुरेश कुमार चौधरी
जीरे की उन्नत खेती से अधिक लाभ प्राप्त करें

मसाला फसल

जीरा मसाले वाली मुख्य बीजीय फसल है। देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा गुजरात व राजस्थान राज्यों में उगाया जाता है राजस्थान में देश के कुल उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जाता है तथा राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में कुल राज्य का 80 प्रतिशत जीरा पैदा होता है लेकिन इसकी औसत उपज (380 किग्रा प्रति है.) पड़ोसी राज्य गुजरात (550 किग्रा प्रति है.) की अपेक्षा काफी कम है।

उन्नत किस्में

भूमि एवं उसकी तैयारी: जीरे की फसल बलुई दोमट तथा दोमट भूमि अच्छी होती है। खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिएं। जीरे की फसल के लिए एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद एक क्रास जुताई हैरो से करके पाटा लगा देना चाहिए तथा इसके पश्चात एक जुताई कल्टीवेटर से करके पाटा लगाकर मिट्टी भुरभुरी बना देनी चाहिए।

बीज एवं बुवाई: जीरे की बुवाई के समय तापमान 24 से 28 सैंटीग्रेड होना चाहिए तथा वानस्पतिक वृद्धि के समय 20 से 25 सैंटीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है। जीरे के बुवाई 1 से 25 नवम्बर के मध्य कर देनी चाहिए। जीरे की बुवाई किसान अधिकतर छिड़काव विधि द्वारा करते हैं लेकिन कल्टीवेटर से 30 सैंमी के अन्तराल पर पंक्तियां बनाकर उसमें बुवाई करना अच्छा रहता है। एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 12 किग्रा बीज पर्याप्त रहता है। ध्यान रहे जीरे का बीज 1.5 सैंमी से अधिक गहराई पर नहीं बोना चाहिए।

खाद एवं उर्वरक: जीरे की फसल के लिए खाद उर्वरकों की मात्रा भूमि जांच कराने के बाद देनी चाहिए। सामान्य परिस्थितियों में जीरे की फसल के लिए बुवाई से पहले 5 टन गोबर या कम्पोस्ट खाद अन्तिम जुताई के समय खेत में अच्छी प्रकार मिला देनी चाहिए। इसके बाद बुवाई के समय 65 किलो डीएपी व 9 किलो यूरिया मिलाकर खेत ने देना चाहिए। प्रथम सिंचाई पर 33 किलो यूरिया प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव कर देना चाहिए।

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