जेनी जिराफ सुबहसुबह जंगल में अकेले ही घूमने निकल जाती थी. वह शर्मीले स्वभाव की थी, इसीलिए वह किसी का साथ पसंद नहीं करती थी. लंबी गरदन की वजह से उसे दूसरों से बात करने में भी परेशानी होती थी. बारबार गरदन नीचे झुका कर वह थक जाती थी.
सुबह अकेले सैर करने के दो फायदे थे. एक तो अच्छीखासी कसरत हो जाती, दूसरा उस समय अधिकांश वनवासी सोए रहते. इस से उसे दूसरों के बगीचों से फलफूल आदि चुराने का मौका हाथ लग जाता.
इन दिनों बोबो भालू के बगीचे में केले पक रहे थे. उसे मीठे पके केले बहुत पसंद थे. अकसर जेनी घूमने के लिए उसी तरफ निकल जाती थी. वन्यजीवों से बचाव के लिए बोबो ने बगीचे के चारों ओर तार बाड़ कर रखी थी, लेकिन यह सुरक्षा जेनी के लिए पर्याप्त नहीं थी. वह बहुत ऊंची थी. साथ ही उस की गरदन इतनी लंबी थी कि वह ऊंचाई पर लटके किसी भी फल को आसानी से तोड़ लेती.
बोबो केलों की चोरी से बहुत परेशान था. उसे जेनी पर शक था, लेकिन बिना सुबूत उस से पंगा ले कर वह खुद भी परेशान नहीं होना चाहता था. बहुत सोचसमझ कर उस ने यह बात अपने दोस्त मोंटी लंगूर से कही.
वह बोला, “बोबो, तुम्हें चोर को सबक सिखाना होगा वरना यह तुम्हारे बगीचे में कुछ भी नहीं छोड़ेगा."
“तुम ठीक कहते हो. मुझे लगता है, यह जेनी का काम है. वह अपनी लंबाई और ऊंची गरदन का पूरा फायदा उठाती है और सुबहसुबह यहां आ कर पके फल खा जाती है. कृपया मेरे बगीचे को उस से बचने का कुछ उपाय सोचो.”
कुछ सोच कर मोंटी बोला, "मेरे पास एक उपाय है,” इतना कह कर मोंटी ने उसे कुछ समझाया.
यह सुन कर बोबो खुश हो गया. वह बोला, "लगता है, तुम्हारा उपाय काम कर जाएगा."
“भले काम में देरी कैसी? कल ही बाजार चल कर उस के लिए सामान ले आते हैं.”
अगले दिन वे दोनों बाजार गए. जहां मोंटी की पहचान का एक मैकेनिक था. वह बोला, “मुझे कुछ पुराने टायर चाहिए."
"तुम इन का क्या करोगे?”
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin December First 2022 sayısından alınmıştır.
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