जंपी बंदर चंपकवन में रहता था. सभी उसे चिढ़ाते रहते थे. वह बोलने में थोड़ा हकलाता था. इसीलिए स्कूल, खेल के मैदान, घर सभी जगह बच्चे और बड़े उस की मजाक उड़ाते, लेकिन जंपी को इस से कोई फर्क नहीं पड़ता था. उस का मन बड़ा दयालु था. वह सभी को क्षमा कर देता. किसी पर भी गुस्सा नहीं करता था. स्कूल के बच्चे सोचते थे कि जंपी कमजोर और डरपोक है, इसीलिए वह किसी को कुछ नहीं कहता. वह हमेशा शांत बैठा रहता है.
"जंपी, तुम्हें इन सब बातों का बुरा नहीं लगता. सब तुम्हें चिढ़ाते रहते हैं. आज तो हद ही हो गई. डमरू गधा भी तुम्हें चिढ़ा रहा था और तुम कुछ नहीं बोले. मुझे तो उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था," जंपी के दोस्त चीकू खरगोश ने कहा.
"तुम इतना गुस्सा क्यों करते हो? मुझे इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता है. मेरा व्यक्तित्त्व ऐसा ही है. इन सब बातों में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है. हमें बस, अपना काम करते रहना है," जंपी ने समझाते हुए कहा.
"तुम्हें समझाना बेकार है. पता नहीं, तुम किस मिट्टी के बने हो," चीकू बोला.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin December Second 2022 sayısından alınmıştır.
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जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
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एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.