रंपी का वैलेंटाइन
Champak - Hindi|February First 2023
कहानी - रंपी का बैलेंटाइन
डा. के. रानी
रंपी का वैलेंटाइन

नन्हा रंपी सुबहसुबह स्कूल जाने के लिए बाहर खड़ा हो कर मां का इंतजार कर रहा था. उस की मां रोरो रोज उस का स्कूल बैग उठा कर उसे स्कूल छोड़ने जातीं. उस के बाद घर आ कर अपने काम निबटातीं.

रंपी अकसर कहता, "मां, अब मैं बड़ा हो गया हूं. मैं अपने दोस्तों के साथ स्कूल जा सकता हूं. आप मुझे छोड़ने इतनी दूर क्यों आती हो ?”

"मुझे तुम्हारी चिंता लगी रहती है बेटा. जंगल में कई खतरनाक जानवर हैं, जो छोटे बच्चों को अकेला देख कर उन पर हमला कर देते हैं. इसीलिए मैं तुम्हारे साथ स्कूल आती हूं."

"आप मुझे बहुत प्यार करती हैं मां, तभी मेरी इतनी चिंता करती हो."

"तुम भी तो मुझे प्यार करते हो," रोरो उस के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली.

वे दोनों स्कूल आतेजाते रास्ते में ढेर सारी बातें करते थे. रोरो बहुत मेहनती थी. वह दिनरात मेहनत कर के अपना घर चला रही थी और रंपी को अच्छे स्कूल में पढ़ा रही थी. दोपहर में भी वह निश्चित समय पर रंपी को लेने स्कूल पहुंच जाती. उस का स्कूल बैग उठाती और उस के बाद दोनों हंसीखुशी घर आ जाते.

14 फरवरी का दिन था. रंपी हमेशा की तरह स्कूल पहुंच कर अपने सहपाठियों के साथ असेंबली हौल में चला गया. उस की क्लास टीचर विवि लोमड़ी बहुत स्मार्ट और सुंदर थी, लेकिन उस का स्वभाव थोड़ा सख्त था. बच्चे उस से बात करने में डरते थे, लेकिन वह बहुत अच्छा पढ़ाती थी. वह सब की पसंदीदा शिक्षिका थी.

प्रार्थना के बाद सब बच्चे क्लास में लौट आए और फिर उन के साथ विवि मैम भी हाजिरी लेने आ गई.

आज टीचर की टेबल पर एक सुंदर लाल गुलाब खा था. उसे देख कर विवि हैरान रह गई. विवि जानती थी कि आज वैलेंटाइन डे है, लेकिन इतने छोटे बच्चों से इस प्रकार की उम्मीद नहीं की जा सकती थी. गुलाब का फूल देख कर वह गंभीर हो गई. उन्होंने बच्चों से पूछा, "यह फूल यहां किस ने रखा ?"

Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin February First 2023 sayısından alınmıştır.

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