एक दिन नितिन के पापा ने आ कर बताया, "औफिस से 3 दिन की छुट्टी ली है. आओ, कहीं घूमने चलेंगे."
तीनों बच्चे खुशी से उछलने लगे. तुरंत जाने की तैयारियां शुरू हो गईं. मां व बूआ सब के कपड़े और खानेपीने का सामान रख रही थीं तो बच्चे अपने खेलने का सामान.
अगली सुबह, सब कार में बैठ कर घूमने निकल पड़े. कई घंटे गाड़ी चलाने के बाद एक जगह पापा ने कार रोकी दी और कहा, "यह जगह सुंदर व हरीभरी लग रही है, आगे घना जंगल शुरू हो जाएगा तो गाड़ी रोकना सेफ नहीं रहेगा. हम यहीं रुक कर खाना खा लेते हैं."
बच्चों ने कार से सामान निकालने में मदद की. नितिन की मां व बूआ सड़क के किनारे चटाई बिछा कर साथ लाया खाना परोसने लगीं.
"इतनी देर बैठेबैठे मेरे पैर अकड़ गए हैं, जब तक मम्मी खाना परोसती हैं, क्यों न तब तक हम थोड़ी दूर टहल आएं?" नितिन बोला.
तीनों बच्चे ताजी घास में थोड़ी दूर निकल गए. चारों ओर हरभरे पेड़ और घास की प्यारी सी खुशबू आ रही थी.
"कितना अच्छा लग रहा है न यहां," आभा खुश हो कर बोली.
"हां, यहां की हवा शहर से कितनी साफ है ?" अंशुल बोला और तीनों बच्चे थोड़ा और आगे चल दिए.
तभी उन की नजर लकड़ी के एक बक्से पर पड़ी, "वह क्या है? वह बक्से से बड़ा और कमरे से छोटा है, उस के लकड़ी के चार पैर हैं. इस में ऐसा क्या कीमती सामान है, जो इस पर ताला लगाना पड़ गया," आभा बोली.
"कुछ तो होगा. तभी तो ताला लगाया है," नितिन ने कहा.
"अगर इस में कीमती सामान है, तो इसे घर में रखना चाहिए था, इसे यहां सुनसान जंगल में क्यों रखा है?" अंशुल बोला.
"कुछ ऐसा सामान होगा, जिसे घर में नहीं रख सकते," नितिन ने कहा.
"ऐसा तो नहीं कि शिकारियों ने जानवरों को मार कर इस में रखा हो. मैं ने कहीं पढ़ा है, कुछ जानवरों की खाल व दांत बहुत कीमती बिकते हैं," अंशुल बोला.
"जानवर के मरने के बाद उस की खाल भला कैसे महंगी हो सकती है?" नितिन हैरान था.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin April Second 2023 sayısından alınmıştır.
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बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.
मेरा संकल्प
जनवरी 2025 का पहला सप्ताह शुरू हो चुका था और 10 वर्षीय रोहन ने कोई संकल्प नहीं लिया था. वह जहां भी गया, स्कूल में, खेल के मैदान में और आसपड़ोस में सब जगह लोग नए साल के संकल्पों के बारे में बात कर रहे थे. रोहन भी एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक संकल्प लेना चाहता था, लेकिन वह उलझन में था. वह एक ऐसा संकल्प लेना चाहता था, जो उस के लिए अच्छा हो और जिसे वह पूरे साल आसानी से पूरा कर सके.
सेल्वी का सरप्राइज
'चाय काप्पिई, चाय काप्पिई,' 'इडली वड़े, इडली वड़े,' बेचने वालों की तेज आवाज ने सेल्वी को जगा दिया. सूरज ढल चुका था और उस की ट्रेन अभी अभी तिरुनेलवेली जंक्शन में दाखिल हुई थी.
नौर्थ पोल की सैर
\"अंतरा, तुम कई घंटों से क्रिसमस ट्री सजा रही हो, क्या तुम थकी नहीं,\" मां ने किचन में काम निबटाने के बाद कहा...
जलेबी उत्सव
चंपकवन के राजा शेरसिंह को कार चलाने का बड़ा शौक था. जाड़े की एक शाम को वह अकेले ही लंबी ड्राइव पर निकल पड़ा...
मिशन सांता क्लौज
यह एक ठंडी, बर्फीली रात थी और शिमला की सभी सड़कें रोशनी में जगमगा रही थीं. करण, परी और समीर क्रिसमस मनाने के लिए उत्साहित थे. हर साल की तरह वे क्रिसमस के मौके पर समीर के घर सोने जा रहे थे, लेकिन इस साल उन्होंने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक अतिरिक्त कार्यक्रम की योजना बनाई थी...
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\"क्या तुम्हें मालूम है कि क्रिसमस आ ही वाला है?\" ब्राउनी सियार ने अपने दोस्त ब्रूटस भेड़िया से झल्लाते हुए पूछा...