दक्षिणपश्चिम दिल्ली के मित्राऊं गांव के गहलोत परिवार में 11 फरवरी, 2023 को बेहद खुशी का माहौल था. खुशियों का ठिकाना नहीं था, उन्होंने अपने बेटे साहिल गहलोत को आखिर शादी के बंधन में बांध ही दिया था, क्योंकि वह कई सालों से अपनी शादी के लिए उन से टालमटोल कर रहा था, लेकिन आखिर वह परिवार की जिद के आगे घुटने टेकने को मजबूर हो गया. 10 फरवरी, 2023 को वह चमचमाती हुई शेरवानी - सेहरा पहन कर घोड़ी पर चढ़ा और बाजेगाजे के साथ बारात ले कर मंडोला गांव पहुंच गया. रात को शादी की रस्में पूरी हुईं और 11 फरवरी को वह अपनी दुलहन के साथ घर लौट आया.
गहलोत परिवार में नई नवेली बहू आई थी, घर मेहमानों से भरा हुआ था. युवकयुवतियां घर की बैठक में अभी भी डीजे की धुन पर थिरक रहे थे. इन में साहिल के भांजे, भतीजे, भाईबहनें और वे दोस्त, जो साहिल के बहुत नजदीकी थे, सभी पूरे जोश में फिल्मी गानों की धुन पर अपनी कमर मटका रहे थे.
सुबह से शाम होने को आ गई, लेकिन खुशी और जोश से भरे युवाओं के पांव थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे. कुछ समय को उन में से कोई एक बैठ जाता तो दूसरे झूमते रहते, न उन्हें खाने का होश था, न सुस्ताने का. उन्होंने पूरा समां बांध रखा था.
ऊपर की मंजिल पर साहिल का कमरा था, जिसे सुहागकक्ष के रूप में सजा दिया गया था. नई दुलहन सुहाग सेज पर बैठी अपने प्रियतम साहिल का पलक पांवड़े बिछाए इंतजार कर रही थी. वह खुश थी क्योंकि उसे सपनों के राजकुमार जैसा पति मिला था, उस का मन फूले नहीं समा रहा था और दिल की धड़कनें उस को संगीत की लय पर थिरकती महसूस हो रही थीं.
उसे उन पलों का इंतजार था, जब साहिल सुहाग कक्ष में आ कर उसे प्यार से अपनी बांहों में समेट कर उस के तनमन को अपनी खुशबू से महका देने वाला था. एकएक पल उसे रोमांच से भर रहा था कि अचानक उसे नीचे हाल में बज रहे डीजे के बंद होने और भारी बूटों के धड़धड़ाते हुए सीढ़ियों पर आने की आवाजों ने चौंका दिया.
सुहाग कक्ष में पहुंची पुलिस
कुछ पल बीते. उस के सुहाग कक्ष को धकेल कर कुछ सिपाही अंदर घुस आए. उन के पीछेपीछे साहिल के पिता वीरेंद्र सिंह गहलोत और अन्य रिश्तेदार भी थे. सभी हैरानपरेशान और घबराए हुए दिखाई दे रहे थे.
Bu hikaye Manohar Kahaniyan dergisinin March 2023 sayısından alınmıştır.
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