आधी सी रेखा
Manohar Kahaniyan|March 2023
रेखा भले ही बेमन से फिल्मी दुनिया में आई थीं, लेकिन जब उन्होंने अपनी ऐक्टिंग का जादू दिखाया तो वह दर्शकों के दिल में बस गईं. दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली इस हसीना का नाम कई अभिनेताओं के साथ जुड़ा, लेकिन बदकिस्मती से दिल का कोना खाली ही रह गया. इस गम को दबा कर हमेशा मुसकान बिखेरने वाली यही है आधी अधूरी रेखा, जो...
भारत भूषण श्रीवास्तव
आधी सी रेखा

निर्देशक और अपने दौर के नामी व कामयाब लेखक एस. अली राजा की साल 1974 में प्रदर्शित फिल्म 'प्राण जाए पर वचन न जाए' हालांकि एक चलताऊ मसाला फिल्म थी, लेकिन यह फिल्म बौक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही थी. इस फिल्म में वह सब कुछ था, जो किसी भी फिल्म को हिट करवाने के लिए जरूरी होता है. मसलन रहस्य, रोमांच, प्यार, सैक्स, मारधाड़, डाकू, तवायफ, पुलिस और ठाकुर साहब वगैरह. लेकिन हकीकत में यह चली अभिनेत्री रेखा की वजह से थी, जिन्होंने 70 के दशक के चलन को धता बताते हुए एक निहायत ही उत्तेजक दृश्य दिया था.

इस सीन को देखने के लिए उस दौर के बड़ेबूढ़े तो बड़ेबूढ़े, स्कूली बच्चे और कालेज के छात्र तक पगला उठे थे. जिन्होंने 'प्राण जाए पर...' को दसियों बार देखा था और हर बार लाइन में लग कर टिकट लिया था. तब नीचे का टिकट महज 35 पैसे का आता था, लेकिन यह रकम भी उस दौर में कम नहीं होती थी.

कम इस लिहाज से कही जा सकती है कि वे तालाब से नहा कर निकलती गदराई ऐक्ट्रैस रेखा को एकदम नग्न देख पा रहे थे. जिन्होंने यह फिल्म देखी होगी, वे अब बूढ़े हो गए हैं लेकिन शायद ही याद्दाश्त जाने तक वे तालाब से नहा कर निकलती रेखा का नग्न बदन भूल पाए होंगे.

‘प्राण जाए पर...' के एक और आकर्षण नायक सुनील दत्त थे, जो तब तक 1957 की 'मदर इंडिया' के बाद से कोई दरजन भर हिट फिल्में दे चुके थे. इस के पहले दर्शकों ने रेखा को उन की पहली फिल्म 'सावन भादों' में भी देखा और सराहा था, जो एक देहाती अल्हड़ लड़की चंदा की भूमिका में थीं, लेकिन तब फिल्मी पंडितों ने रेखा के चलने में शक जताया था, क्योंकि वे सांवली थीं, मोटी भी थीं और उन का चेहरामोहरा तब लगने वालों को हिंदी फिल्मों जैसा नहीं लगा था.

रेखा ने एकएक कर सारी आशंकाएं न केवल ध्वस्त कर दीं, बल्कि अपनी जबरदस्त अभिनय प्रतिभा का ऐसा लोहा मनवाया कि आज भी उन की कई फिल्मों की मिसाल दी जाती है. साल 1970 में प्रदर्शित उन की पहली फिल्म 'सावन भादों' का हिट होना किसी अजूबे से कम नहीं था, क्योंकि इस में अधिकांश कलाकार चाहे फिर वे इफ्तिखार जैसे मंझे और सधे चरित्र अभिनेता ही क्यों न हों, अनजाने से थे.

Bu hikaye Manohar Kahaniyan dergisinin March 2023 sayısından alınmıştır.

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