स्वाति का यह फ्रस्ट्रेशन तब और बढ़ गया, जब आठवीं क्लास में आते ही उसे पीरियड शुरू हो गए. वह अंदर ही अंदर घुटन महसूस करने लगी. उसे अपने शरीर से ही नफरत होने लगी थी. हायर सेकेंडरी पास होते ही, घर वालों ने उस की शादी के लिए लड़का भी देखना शुरू कर दिया.
एकदो रिश्ते आए भी, मगर उस की हेयर स्टाइल और कपड़े देख कर वे हैरान रह जाते. एक दिन उस की मम्मी उर्मिला ने उसे पास बिठाया और उस के सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “देख स्वाति, अब तो तू बड़ी हो रही है. अपने बाल बढ़ा ले और लड़के वाले कपड़े पहनना छोड़ दे."
मगर स्वाति इस के लिए कतई तैयार नहीं थी. उसने मम्मी से दोटूक कह दिया, "देखो बचपन से ही स्वाति शरीर से भले ही लड़की थी, मगर उसे अपना वह शरीर कतई पसंद नहीं था. उस के बाल, कपड़े इस तरह के थे कि कोई अनजान व्यक्ति उसे लड़का ही समझता था. लड़कियों के स्कूल में पढ़ने जाने पर जब उसे यूनिफार्म में सलवारकमीज पहनने को मजबूर किया जाता तो वह स्कूल से बंक मारने लगी.
स्वाति ने बताया कि उस की आत्मा यही कहती थी कि 'मैं वह नहीं हूं, जो दिखाई देती हूं. मेरा दिमाग और शरीर एकदूसरे से मेल नहीं खाते थे. कभीकभी मुझे अपने ही शरीर से चिढ़ सी होने लगी थी.'
आखिरकार एक दिन खुद को मजबूत करते हुए स्वाति ने घर वालों से बात की. उस ने मम्मी पापा से साफ कह दिया, "तुम मुझे भले ही लड़की समझते हो, मगर मुझे फीलिंग लड़कों वाली आती है. मैं तो अपना जेंडर चेंज करा कर लड़का बनना चाहता हूं."
इतना सुन कर घर वालों की स्थिति और खराब हो गई. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इस लड़की के साथ क्या किया जाए. स्वाति के रंगढंग देख उस के पापा पवन ने पत्नी उर्मिला से कहा, "देखो, ये लड़की समाज में हमारी बदनामी करने पर तुली हुई है."
उर्मिला यह कह कर अपने पति को समझा देती कि 'स्वाति अभी नादान है. उम्र के साथ सब कुछ समझ जाएगी.'
यह कहानी स्वाति से शिवाय बने 35 साल के एक सौफ्टवेयर इंजीनियर की है, जिन्होंने 3 साल की लंबी मशक्कत के बाद अपना जेंडर फीमेल से बदल कर मेल करवा लिया.
ताप्ती नदी के किनारे बसे मध्य प्रदेश के बैतूल में संजय कालोनी में रहने वाले पवन सूर्यवंशी और पत्नी उर्मिला सूर्यवंशी की 4 बेटियों और एक बेटे में स्वाति सब से छोटी थी.
Bu hikaye Manohar Kahaniyan dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.
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