बाइक सवारों ने कार को टक्कर मारी. कार के रुकने के बाद बाइक सवारों ने 11 वर्षीय गोपाल को कार से बाहर खींच लिया. हरसुखभाई करदानी ने गोपाल को बचाने की कोशिश की. वह भी तुरंत कार से बाहर निकल आया. उस के विरोध करने पर हमलावरों ने दोनों पर ही चाकू से हमला कर दिया. दोनों बुरी तरह से जख्मी हो गए थे. उन्हें उसी अवस्था में सड़क के किनारे छोड़ कर हमलावर फरार हो गए थे.
गोपाल का जख्म काफी गहरा था. कुछ समय में वहां से गुजरते रिक्शाचालक ने दोनों घायलों को सड़क किनारे घायल अवस्था में पाया तो वह उन्हें अस्पताल ले जाया गया. वहां उन का उपचार शुरू किया गया. इलाज के 5 दिन बाद 11 वर्षीय गोपाल की मौत हो गई. उस के हफ्ते भर बाद हरसुखभाई की भी अस्पताल में मौत हो गई थी.
गुजरात के छोटे से पिछड़े इलाके में रहने वाले गरीब हरसुखभाई करदानी ने उस समय राहत की सांस ली थी, जब उस की पत्नी अल्पा के 8 वर्षीय छोटे भाई गोपाल को एक अमीर विदेशी जोड़े ने गोद ले लिया था. जिन्होंने उसे गोद लिया था, वे वैसे तो भारत के ही रहने वाले निस्संतान दंपति थे, लेकिन ब्रिटेन में रहते थे. पति कंवलजीत सिंह रायजादा हीथ्रो का एक कर्मचारी था. जबकि उस की पत्नी आरती धीर चैरिटी का काम करती थी. हालांकि उन की उम्र में काफी अंतर था. वे दिखने में मांबेटे की तरह लगते थे.
सच तो यह था कि करदानी दंपति गोपाल के गोद लिए जाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बेहद खुश था. क्योंकि वे अपने ऊपर से उस के लालनपालन की बड़ी जिम्मेदारी का बोझ उतरा हुआ महसूस कर रहे थे. आर्थिक तंगी का सामना करते हुए बच्चे की जैसेतैसे परवरिश हो रही थी.
गोपाल उन के साथ 2 साल की उम्र से ही रह रहा था. मां ने उसे छोड़ दिया था और पिता बीमार रहते थे. उस हालत में वह इधरउधर गली और पड़ोसियों के घरों में अनाथों की तरह घूमता रहता था. इस हाल में देख मोहल्ले के लोगों ने कुछ दिनों तक उस की देखभाल की, फिर उन्होंने केशोद में पति के साथ रह रही उस की बड़ी विवाहित बहन अल्पा को सौंप दिया.
Bu hikaye Manohar Kahaniyan dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.
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तांत्रिक के बहकावे में दी बेटी की बलि
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