लोगों के बीच कानाफूसी होने लगी थी. बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चे वहां का दृश्य देख कर स्तब्ध थे. सिर से पांव तक ढंकी लाशें एकएक कर निकाली गई थीं. एंबुलेंस में लाद दी गई थीं, उन की संख्या 6 थी. जिन में 2 लाशें बच्चों की भी थीं. एक बच्चा बुरी तरह से जख्मी था. सब से पहले सब को अस्पताल ले जाया गया.
कुछ समय में ही उपस्थित लोगों को लाशों के बारे में भी पता चल गया. ये लाशें सिंह परिवार के सदस्यों की थी. लोगों के बीच इस बात की कानाफूसी होने लगी कि परिवार के ही एक शख्स ने नशे में मां, पत्नी और अपने 3 बच्चों की हत्या कर दी है. फिर उस ने खुद भी गोली मार कर आत्महत्या कर ली है.
उस ने पहले मां को गोली मारी, इस के बाद पत्नी को हथौड़े से कूच कर मार डाला. फिर तीनों बच्चों को छत से फेंक दिया.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में रामपुर मथुरा स्थित पल्हापुर गांव में बड़े आकार के आधा दरजन से अधिक कमरों वाले दोमंजिला मकान और उस के आसपास की चहलपहल दूर से ही अपनी भव्यता, खुशहाली और खुशियों की कहानी कह रही है. उस के अहाते में खेतीकिसानी के आधुनिक सामान, ट्रैक्टर आदि के अलावा आनेजाने के लिए निजी गाड़ियां अकसर देखी जाती थीं.
उस में रहने वाला परिवार 2 हिस्से में बंटा हुआ था. एक हिस्सा बुजुर्ग विधवा महिला सावित्री सिंह परिवार के सदस्यों के साथ इस मकान में रहतीं थीं, जबकि परिवार की बहू प्रियंका सिंह अपने 3 बच्चों के साथ लखनऊ के मकान में रहती थी. 2 भाई गांव में रह कर ही खेती का काम संभालते थे. उन के पास अच्छी खासी 100 बीघे जमीन थी. एक तालाब भी था, जिस में मछली पालन का कारोबार था.
परिवार की अच्छी तरक्की, सुख के साधन और शिक्षित होने आदि की चर्चा पूरे गांव में होती थी. परिवार के मुखिया स्व. वीरेंद्र सिंह इलाके में बड़े किसान की हैसियत रखते थे और उन का परिवार आधुनिक ढंग से खेती करवाने के लिए जाना जाता था. परिवार में सब कुछ ठीक चल रहा था. गांव वालों की निगाह में उनकी जिंदगी आनंद के साथ गुजर रही थी.
Bu hikaye Manohar Kahaniyan dergisinin June 2024 sayısından alınmıştır.
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