भय और भक्ति की जानलेवा भगदड
Saras Salil - Hindi|November Second 2022
हाल ही में गुजरात का मोरबी इलाका एकदम से सुर्खियों में छा गया. हालांकि खबरों में तो वह पहले से ही था. इस की वजह थी रूस और यूक्रेन की लड़ाई. अब आप के मन में सवाल उठ रहा होगा कि इतनी दूर की लड़ाई का भारत के मोरबी इलाके पर क्या और क्यों बुरा असर पड़ेगा?
सुनील शर्मा
भय और भक्ति की जानलेवा भगदड

जवाब है यहां का सिरैमिक टाइल्स का कारोबार, जो देशभर में 'सिरैमिक टाइल्स उत्पादन का हब' माना जाता है. यहां 70 से 80 फीसदी से ज्यादा टाइल्स और सैनेटरी से जुड़े दूसरे सामान बनाए जाते हैं.

मोरबी में ऐसी तकरीबन 1,000 इकाइयां हैं, जिन में 400 से ज्यादा इकाइयां खाड़ी देशों में अपने यहां बने सामान बेचती हैं. इस के अलावा ज्यादातर इकाइयां यूक्रेन से लगते पूर्वी यूरोपीय देशों जैसे पोलैंड, हंगरी, आस्ट्रिया, स्लोवाकिया के साथसाथ मध्य एशियाई देशों को अपना बना सामान बेचती हैं. इस उद्योग की वजह से यहां 4 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है.

अगर रूस और यूक्रेन की लड़ाई और लंबी खिंचती है तो इस का बुरा असर गुजरात में मोरबी के सिरैमिक उद्योग पर भी पड़ सकता है और यहां जो मजबूत कारोबारी मंच बना है, वह भरभरा कर गिर सकता है.

गिरा तो मोरबी में और भी कुछ है। और ऐसा गिरा कि कई लोगों की जान ले बैठा. दरअसल, रविवार, 30 अक्तूबर, 2022 की शाम को मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज अचानक टूट जाने से कई लोग नदी में गिर गए थे. यह ब्रिज रिनोवेशन के बाद हाल ही में चालू किया गया था.

वैसे, यह केबल ब्रिज काफी पुराना बताया जा रहा है. राजामहाराजाओं के समय का यह पुल ऋषिकेश के 'राम झूला' और 'लक्ष्मण झूला' पुल की तरह झूलता हुआ सा नजर आता था, इसलिए इसे 'झूलता पुल' भी कहते थे.

मोरबी का यह ऐतिहासिक पुल गुजरात पर्यटन स्थलों की सूची में दर्ज है. कहते हैं कि सालों तक इस पुल का रखरखाव स्थानीय नगरपालिका द्वारा किया गया, लेकिन हाल के सालों में फंड की कमी होने पर इस पुल को बंद कर दिया गया था.

नगरपालिका ने सरकारी टैंडर के जरीए ओरेवा कंपनी को अगले 15 साल तक इस के रखरखाव करने की जिम्मेदारी दी थी. इस के बाद ओरेवा ग्रुप के जय सुख पटेल ने निजी कैपेसिटी से पैसा लगा कर जिंदल ग्रुप से इस ब्रिज को बनवाया.

फिलहाल जो जानकारी सामने आई है, उस के मुताबिक, ओरेवा ग्रुप ने के रिनोवेशन के लिए जिंदल ग्रुप को 8 करोड़ रुपए दिए थे. तकरीबन 7 महीने बंद रहने के बाद गुजरातियों के 'नए साल' पर इस ब्रिज को खोला गया था..

पुल पर लोगों को टिकट के बाद प्रवेश दिया गया. 18 साल से ऊपर के लोगों के टिकट 17 रुपए और इस उम्र से नीचे के किशारों और बच्चों का टिकट 12 रुपए रखा गया था.

Bu hikaye Saras Salil - Hindi dergisinin November Second 2022 sayısından alınmıştır.

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