दरअसल, यह पूरा मामला 5 अक्तूबर, 2022 को तब शुरू हुआ, जब दिल्ली के करोलबाग में बने अंबेडकर भवन में 'बौद्ध धर्म में घर वापसी' कार्यक्रम आयोजित करने का एक वीडियो राजेंद्र पाल गौतम ने अपने एक सोशल पेज से शेयर किया था.
इस कार्यक्रम में बाबासाहब भीमराव अंबेडकर की बौद्ध धर्म में धर्मांतरण करने की 22 शपथ दिलाई गई थीं, जिस पर भारतीय जनता पार्टी ने कड़ा एतराज यह कहते हुए जताया था कि इस कार्यक्रम में हिंदू देवीदेवताओं का अनादर किया गया और विरोध के तौर पर आप पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और विधायक राजेंद्र पाल गौतम के इस्तीफे की मांग की गई.
असल विवाद की जड़ यही थी कि जिन दलित पिछड़ों को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महज अपना वोट बैंक समझ रहे हैं, वे हिंदू धर्म को ठोकर मार कर अपना धर्मांतरण करा रहे हैं. ऐसे में उन्हें मुफ्त के गुलाम और सत्ता दिलाने वाले वोट छिटकते दिखाई दे रहे थे.
पर यह बात बिना विचारधारा वाली आम आदमी पार्टी और राजनीति में फायदानुकसान देखने वाले पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के पल्ले नहीं पड़ी. इस का असर यह हुआ कि प्रधानमंत्री का सपना संजोए और सरकारी ऑफिसों में अंबेडकर की फोटो टंगवाने वाले अरविंद केजरीवाल अपने ही नेता की अंबेडकरवादी विचारधारा को झेल नहीं पाए और जो गलती थी ही नहीं, उसे गलती मान कर पार्टी ने बलि का बकरा बनने वाले राजेंद्र पाल गौतम से इस्तीफा ही दिलवा दिया.
अब यह समझ से बाहर है कि यह कैसी फायदेनुकसान की राजनीति है कि भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को बचाने के लिए तो पार्टी सड़क से ले कर सदन तक एड़ीचोटी का दम लगाते फिर रही है, पर अपने एक दलित नेता का धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर समर्थन करना तो दूर की बात चूं करने को भी तैयार नहीं.
कौन हैं राजेंद्र पाल गौतम
दिल्ली कैबिनेट में राजेंद्र पाल गौतम एकमात्र दलित मंत्री थे. वे राजनीति में आने से पहले पेशे से वकील थे. उन का जन्म दिल्ली के घोंडा इलाके में हुआ. 5 भाईबहनों में तीसरे नंबर के राजेंद्र पाल गौतम की पढ़ाई दिल्ली में ही हुई. उन के पिता दिल्ली में इनकम टैक्स डिपार्टमैंट में नौकरी करते थे.
Bu hikaye Saras Salil - Hindi dergisinin November Second 2022 sayısından alınmıştır.
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