इस बार का फीफा वर्ल्ड कप कतर देश में हुआ था और वहां की मेजबानी की हर जगह तारीफ भी हुई. हो भी क्यों न, यह फुटबाल वर्ल्ड कप अब तक का सब से महंगा खेल आयोजन जो था.
याद रहे कि कतर को साल 2010 में फुटबाल वर्ल्ड कप की मेजबानी मिली थी और तब से इस देश ने इस आयोजन को कामयाब बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया था. इस के लिए 6 नए स्टेडियम बनाए थे, जबकि 2 पुराने स्टेडियमों का कायकल्प किया गया था. इस के अलावा दूसरे कामों पर भी जम कर पैसा खर्च किया गया था.
एक अंदाज के मुताबिक, कतर ने इस आयोजन पर कुल 222 अरब डॉलर की भारीभरकम रकम खर्च की थी. इस से पहले का फुटबाल वर्ल्ड कप साल 2018 में रूस में कराया गया था, जिस पर कुल 11.6 अरब डौलर खर्च हुए थे.
कतर में हुए वर्ल्ड कप में दुनियाभर से आई 32 देशों की टीमें शामिल थीं और सभी चाहती थीं कि वे अपना बैस्ट खेल दिखाएं. जापान और मोरक्को ने तो सब को चौंकाया भी. जापान ने जरमनी को हराया था, तो मोरक्को कई दिग्गज टीमों को हराते हुए सैमीफाइनल मुकाबले तक जा पहुंची थी, जहां वह फ्रांस से हार गई थी. सऊदी अरब ने भी अर्जेंटीना पर जीत हासिल कर के बड़ा उलटफेर किया था.
पर इतने सारे रोमांच व खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत के बावजूद फुटबाल वर्ल्ड कप के साथसाथ सोशल मीडिया पर एक अलग ही खेल चल रहा था, जिस पर धर्म का जाल कसा हुआ था.
फीफा वर्ल्ड कप का आयोजन कराने को ले कर मिस्र के एक मौलाना यूनुस माखियान कतर पर ही बरस पड़े थे. उन्होंने अपने बयान में फुटबाल को समय की बरबादी बताते हुए लियोनेल मैसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसे खिलाड़ियों को इसलाम का दुश्मन (काफिर) कह दिया था. उन की राय थी कि फुटबाल पर खर्च करने के बजाय परमाणु बम बनाने में पैसा खर्च करना चाहिए था.
Bu hikaye Saras Salil - Hindi dergisinin January First 2023 sayısından alınmıştır.
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