रिश्तों को झकझोर कर रख देने वाली यह कहानी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले से जुड़ी हुई है. मिर्जापुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जमालपुर थाना, इसी थाने से 4 किलोमीटर की दूरी पर है जयपट्टी कलां गांव. इस गांव में वैसे तो सभी जाति के लोग रहते हैं, लेकिन यहां पटेल, बियार और दलित बिरादरी के लोग ज्यादा हैं.
जमालपुर थाना क्षेत्र के जयपट्टी कलां गांव में संतोष कुमार भारती का परिवार रहता है. परिवार में पत्नी सोनी देवी, 2 बेटियां और एक बेटा वीरेंद्र कुमार हैं. मेहनतमजदूरी व थोड़ीबहुत बंटाई पर खेती ले कर संतोष अपने परिवार का भरणपोषण कर लेता था.
अचानक एक दिन ऐसा आया कि संतोष कुमार भारती ( 47 ) अचानक से गायब हो गया. काफी खोजबीन के बाद भी जब कोई पता नहीं चला तो संतोष के बेटे वीरेंद्र कुमार ने जमालपुर थाने में पिता की गुमशुदगी दर्ज करवाई. यह बात मंगलवार 4 अक्तूबर, 2022 की है.
गुमशुदगी दर्ज होते ही पुलिस ने संतोष कुमार की खोजबीन शुरू कर दी. एसएचओ मनोज कुमार संतोष के घर जा कर परिवार के लोगों से पूछताछ की. घर वालों ने उन्हें बताया कि वह सुबह दिशामैदान के लिए निकले थे.
दोपहर तक उन का पता न चलने पर परिवार के लोगों का रोरो कर बुरा हाल हो गया था तो दूसरी ओर गांव वाले भी संतोष के अचानक गायब होने को ले कर हैरान हो गए थे. गांव में तरहतरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं. जितने मुंह उतनी बातें होने लगी थीं.
सभी लोग सुबह से ही खोजबीन कर थकहार चुके थे कि अचानक संतोष के बेटे वीरेंद्र कुमार का ध्यान अपने पिता के दोस्त रविंद्र गौड़ की तरफ गया तो वह बिना कोई समय गंवाए रविंद्र गौड़ के घर की ओर बढ़ चला.
तभी रास्ते में उस का रविंद्र से सामना हो गया. रविंद्र को देख वीरेंद्र तपाक से पूछ बैठा "चाचा, मेरे पिताजी को आप ने देखा है क्या ? सुबह से ही वह गायब हैं, 'से शाम होने को है, लेकिन अभी तक उन का कोई पता नहीं चल सका है. ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ है."
वीरेंद्र अभी अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाया था कि रविंद्र घबराई हुई में बोला, "ना ना.. न..नहीं, मैं ने तो नहीं देखा उन्हें हो सकता हो कहीं गए हों."
Bu hikaye Satyakatha dergisinin December 2022 sayısından alınmıştır.
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