एकलौती बिटिया होने की वजह से मालती अपने मांबाप की परी थी. उस के पापा के पास इतना कुछ था कि जब जो चाहा उसे मिला. पापा बालमुकुंद चौहान और मम्मी उस की हर इच्छा को पूरा करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे.
मांबाप के प्यार की वजह से बालिग होतेहोते मालती काफी जिद्दी हो गई थी. वैसे उसे ज्यादा जिद करने की जरूरत नहीं पड़ती थी, वह जो भी कह देती, मम्मीपापा और भाई आंख मूंद कर पूरी कर देते थे.
मूलरूप से मध्य प्रदेश में ग्वालियर जिले की भितरवार तहसील के मोहनगढ़ गांव के रहने वाले बालमुकुंद चौहान और भूपेंद्र जाट आमनेसामने रहते थे. इस वजह से उन का न सिर्फ एकदूसरे के परिवार से घरोवा था, बल्कि पड़ोस में रहने की वजह से दोनों परिवारों का एकदूसरे के घर आनाजाना भी था.
मालती और भूपेंद्र सिंह का बेटा पवन साथ में खेल कर बड़े हुए थे. मालती खूबसूरत थी तो पवन भी कम आकर्षक नहीं था. वह लंबाचौड़ा और गोराचिट्टा युवक था.
Bu hikaye Satyakatha dergisinin May 2023 sayısından alınmıştır.
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