माया नगरी मुंबई के दिंडोशी पुलिस थाने के एसएचओ मनोज सुतार 18 अप्रैल, 2023 की सुबह अपने कार्यालय में बैठे थे. तभी उन का एक विश्वस्त मुखबिर उन के सामने हाजिर हुआ.
"साहेब, एक बहुत बड़ी खबर हूं, इस मामले में मुझे तगड़ी बख्शीश तो मिलेगी न?" मुखबिर ने कुरसी पर बैठते हुए कहा.
"खबर आखिर क्या है, जो तुम इतने उतावले हो रहे हो ?" मनोज सुतार ने कहा.
"साहेब, फिल्म जगत की कास्टिंग डायरेक्टर और हीरोइन आरती मित्तल सैक्स रैकेट चला रही है," मुखबिर ने कहा.
"भाई, ये तुम क्याक्या कह रहे हो ? इतना बड़ा नाम है, अगर थोड़ी सी भी भूलचूक हो गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे. मेरी नौकरी लेने का इरादा है क्या, तुम्हारा?'' इंसपेक्टर ने घबराते हुए कहा.
"नहीं साहब, एकदम पुख्ता खबर है. मेरे पास मोबाइल नंबर भी है. आप बात करो, आप को खुद पता चल जाएगा." कहते हुए मुखबिर ने एक मोबाइल नंबर इंसपेक्टर मनोज सुतार को दिया और वहां से चला गया.
खबर बर काफी महत्त्वपूर्ण थी और एक ऐसी शख्सियत से जुड़ी थी कि इंसपेक्टर मनोज सुतार ने इस की खबर तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. उच्चाधिकारियों द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद इंसपेक्टर मनोज सुतार ने इस केस की तहकीकात करनी शुरू कर दी.
जब जिम्मेदारी मिली तो इंसपेक्टर मनोज सुतार ने तुरंत मुखबिर द्वारा दिया गया फोन नंबर मिला दिया, "जी, आप आरतीजी बोल रही हैं न?"
"जी, आप ने सही फोन मिलाया, मेरे बारे में तो आप जानते ही होंगे? मगर आप को मेरा मोबाइल नंबर आखिर कैसे मिल गया?" उधर से आवाज आई.
“आरतीजी, मैं एक बहुत बड़ा हीरे का व्यापारी हूं. अपने कस्टमर के लिए मुझे भी कभीकभी कुछ करना पड़ जाता है. पता नहीं, मेरे कस्टमरों के भी बड़े अजीब शौक हैं. अब पूरा न करें तो कस्टमर हाथ से निकल जाते हैं. आप समझ रही हैं न, मैं कहना क्या चाहता हूं." मनोज सुतार ने पासा फेंकते हुए कहा.
Bu hikaye Satyakatha dergisinin June 2023 sayısından alınmıştır.
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