मृतक की उम्र 35 से 40 वर्ष के बीच की लग रही थी. वह पैंटशर्ट पहने हुए था. उस के जिस्म पर चोट के निशान थे और सिर फटा हुआ था. सिर के गहरे जख्म से खून बह कर उस के सारे चेहरे और शर्ट पर फैल कर सूख चुका था. इस से अनुमान लगाया गया कि युवक को मरे हुए 10-12 घंटे से ऊपर हो गए हैं.
जमीन पर खून दिखाई नहीं दे रहा था और न ही ऐसे चिह्न वहां थे, जिस से यह समझा जा सके कि युवक की हत्या इसी जगह की गई है. साफ लग रहा था कि युवक की हत्या कहीं और की गई होगी, उस के बाद उसे ला कर यहां पर फेंक दिया गया था.
मिग्सन ग्रीन सोसायटी (गौतमबुद्ध नगर) का रहने वाला रवि कहीं जाने के लिए नहाधो कर तैयार हुआ था. उस ने अभी जूते के फीते बांधे ही थे कि जेब में रखे मोबाइल की घंटी बजने लगी. रवि ने मोबाइल निकाला. स्क्रीन पर उस की प्रेमिका प्रियंका का फोन नंबर फ्लैश हो रहा था. रवि तुरंत काल रिसीव कर आतुरता से बोला, "बोलो जानम, इस गरीब की याद कैसे आ गई तुम्हें?"
"गरीब क्यों कहते हो अपने आप को रवि. मेरी नजर में तो तुम राजा हो राजा." दूसरी ओर से प्रियंका का स्वर उभरा.
रवि हंस पड़ा, "चलो, तुम्हारी नजर में मेरी कुछ तो कीमत है. कहो, कैसे याद किया मुझे?"
"कहां हो?"
"घर पर ही हूं."
Bu hikaye Satyakatha dergisinin April 2024 sayısından alınmıştır.
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