आखिर मना करें भी तो कैसे
Rupayan|August 02, 2024
दखलअंदाजी किसी को भी पसंद नहीं होती, खासकर रिश्तेदारों की, मगर , खुलकर मना भी नहीं किया जा सकता। ऐसे में इस स्थिति से निपटने के लिए आपको कुछ तरीके अपनाने होंगे।
रूपाश्री शर्मा
आखिर मना करें भी तो कैसे

श्तेदारों का हस्तक्षेप कई बार आपके लिए परेशानी बन जाता है, लेकिन आप कुछ गलत या दिल को बुरा लगने जैसा कहना भी नहीं चाहतीं, क्योंकि रिश्ते खराब होने का डर रहता है। ऐसे में, आपको कुछ सीमाएं तय करनी होंगी, ताकि आप रिश्तों की मिठास को बनाए रख सकें। लेकिन जरूरी है कि आप इसे समझदारी से हैंडल करें।

कुछ सीमाएं : साफ बोलो, सुखी रहो! यह बात हमेशा से बुजुर्ग बोलते आए हैं, जो कि काफी हद तक सही भी है। इसलिए अपने रिश्तेदारों को यह स्पष्ट रूप से बताएं कि आप किस तरह का व्यवहार स्वीकार करती हैं और किस तरह का नहीं। आप अपनी इन सीमाओं को दृढ़ता से और स्पष्ट रूप से बताएं। यदि वे आपकी सीमाओं का सम्मान नहीं करते हैं तो उन्हें इसका अहसास कराएं, कि उनसे मिलना कम कर दें या फिर निजी जानकारी उनसे साझा न करें। जैसे

Bu hikaye Rupayan dergisinin August 02, 2024 sayısından alınmıştır.

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शाप भी देते हैं पितर
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शाप भी देते हैं पितर

धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।

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September 13, 2024
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
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हर तिथि का अलग श्राद्धफल

पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।

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September 13, 2024
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
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पितृदोष में पीपल की परिक्रमा

शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।

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September 13, 2024
पिंडदान के अलग-अलग विधान
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पिंडदान के अलग-अलग विधान

व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।

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September 13, 2024
पितृपक्ष में दान
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पितृपक्ष में दान

भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।

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September 13, 2024
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
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जैसी श्रद्धा, वैसा भोज

पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।

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September 13, 2024
स्त्रियों को भी है अधिकार
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स्त्रियों को भी है अधिकार

यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।

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September 13, 2024
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
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निस्संतान के श्राद्ध की विधि

शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।

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September 13, 2024
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
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पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान

पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।

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September 13, 2024
किस दिशा से पितरों का आगमन
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किस दिशा से पितरों का आगमन

पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

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September 13, 2024