औषधीय व सुगंधित पौधों की जैविक विधि से खेती
Farm and Food|November Second 2022
सभ्यता की शुरुआत से ही इनसान दूसरे जीवों की तरह पौधों का इस्तेमाल भोजन व स औषधि के रूप में करता चला आ रहा है. आज भी ज्यादातर औषधियां जंगलों से उन के प्राकृतिक उत्पादन क्षेत्र से ही लाई जा रही हैं. इस का मुख्य कारण तो उन का आसानी से उपलब्ध होना है, पर इस से भी बड़ा कारण जंगल के प्राकृतिक वातावरण में उगने के चलते इन पौधों की अच्छी क्वालिटी का होना है.
आरएस सेंगर, सूर्य प्रताप सिंह एवं वर्षा रानी
औषधीय व सुगंधित पौधों की जैविक विधि से खेती

वर्तमान में आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है, जिस से इन का जंगलों से दोहन और भी बढ़ रहा है और मांग को पूरा करने के लिए कई औषधीय व सुगंधीय पौधों की खेती भी की जा रही है.

चूंकि औषधियां रोगों को ठीक करने के लिए व सुगंधीय फसलों में से सुगंधित पदार्थ निकालने में काम आते हैं, इसलिए उत्पादन ज्यादा करने के बजाय अच्छी क्वालिटी के लिए उत्पादन करना जरूरी व बाजार की मांग के मुताबिक है. अच्छी क्वालिटी हासिल करने के लिए जैविक या प्राकृतिक तरीके से उत्पादन ही एकमात्र तरीका है, क्योंकि :

● प्राकृतिक या जैविक तरीके से उत्पादन करने पर औषधीय पौधों में क्रियाशील तत्त्व व सुगंधित पौधों में तेल की मात्रा में बढ़ोतरी होती है, जबकि रासायनिक उर्वरकों जैसे यूरिया, डीएपी आदि के इस्तेमाल से उन की क्वालिटी घटती जाती है.

● रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से औषधि नहीं जहर बनता है। यानी कीटनाशकों के अवशेष रोगी के रोग को ठीक करने के बजाय उसे और ज्यादा बढ़ा सकते हैं, इसलिए सिर्फ प्राकृतिक तरीकों से रोग, कीट नियंत्रण ही औषधीय पौधों की खेती में न केवल बाजार के लिए जरूरी है, बल्कि यह एक सामाजिक जवाबदेही भी है.

● इस के अलावा कई दूसरी तरह की हानियां, जो रासायनिक खेती से जुड़ी हैं, वे सभी इन फसलों की खेती में भी होती हैं. जैसे लागत का बढ़ना, भूमि की उर्वरता का कम होना, कीटनाशकों में

प्रतिरोधकता पैदा होना और गांवखेत में प्रदूषण का बढ़ना आदि. लिहाजा, उचित यही है कि औषधीय और सुगंधीय पौधों की जैविक खेती की जाए.

जैविक खेती जरूरी भी और मजबूरी भी

पर्यावरण व भूमि को बचाने के लिए और उपभोक्ता की सेहत के लिए जैविक खेती बेहद जरूरी है. कर्ज के बोझ को कम करने व कम होते भूजल से ही खेती करने के लिए जैविक खेती मजबूरी है.

भविष्य में पैट्रोलियम पदार्थों के निरंतर बढ़ते दाम व घटती उपलब्धता से उवर्रक व कीटनाशकों की उपलब्धता (पैट्रोलियम से ही बनते हैं) ही खतरे में पड़ जाएगी, तब जैविक खेती ही मुमकिन होगी, इसलिए वर्तमान या भविष्य की जरूरत या मजबूरी को समझ कर जैविक खेती करना ही एकमात्र रास्ता है.

औषधीय व सुगंधीय पौधों की जैविक खेती के सुझाव

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कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक
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कम समय में तैयार होने वाली फसल शलजम है. इसे खास देखभाल की जरूरत नहीं होती है और किसान को क मुनाफा भी ज्यादा मिलता है. शलजम जड़ वाली हरी फसल है. इसे ठंडे मौसम में हरी सब्जी के रूप उगाया व इस्तेमाल किया जाता है. शलजम का बड़ा साइज होने पर इस का अचार भी बनाया जाता है.

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