भारत में कीवी की सफल खेती अधिकतर जम्मूकश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है.
जलवायु एवं भूमि
कीवी फल शीतोष्ण जलवायु का पौधा है. इस के फलने के लिए शीतल तापमान जो लगभग 100 घंटे की आवश्यकता होती है. तेज धूप (30 डिगरी सैल्सियस) और कम आर्द्रता होने पर इस के पत्ते झुलस जाते हैं. इस का पौधा अंगूर की भांति एक लता वाला पौधा है, जो 35 डिगरी सैल्सियस से अधिक तापमान और तेज हवाएं सहन नहीं कर सकता है.
कीवी की खेती के लिए गहरी, समृद्ध, अच्छी जल निकास वाली उपजाऊ बलुई दोमट भूमि उपयुक्त होती है. अम्लीय एवं क्षारीय भूमि में इस की खेती नहीं की जा सकती है. मिट्टी का पीएच मान 6.9 से थोड़ा कम होने पर अधिकतम उपज मिलती है, लेकिन 7.3 तक अधिक पीएच मैंगनीज की कमी के कारण उपज पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है.
हिमाचल प्रदेश के कुछ स्थानों और केरल के कुछ हिस्सों में फसल बहुत अच्छी हो सकती है. कीवी की खेती के लिए गहरी, समृद्ध, अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी आदर्श होती है.
भूमि की तैयारी व पौध रोपण
कीवी के बागानों के लिए खड़ी भूमि अर्थात पौधों को छतों में तबदील किया जा सकता है और इस के बाग के नीचे छाया में उगने वाली सब्जियों की खेती की जा सकती है.
पौधों को यथासंभव अधिक धूप मिलनी चाहिए, इसलिए पंक्तियों को रोपा जाना चाहिए. रेखांकन के उपरान्त 4x4 मीटर दूरी पर 1×1×1 मीटर आकार के गड्ढे तैयार कर देनी चाहिए अर्थात दिसंबर माह तक गड्ढों की खुदाई कर लेनी चाहिए और इन गड्ढों में मिट्टी के साथ 30-40 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, राख, फफूंदनाशक व कीटनाशक को अच्छे से मिला कर इस मिश्रण को गड्ढों में भरने का काम पूरा कर लेना चाहिए, क्योंकि जनवरी का महीना कीवी के रोपण के लिए सब से अच्छा माना जाता है.
वृक्षारोपण के लिए 2 पंक्तियों व पौधों के बीच की दूरी 4 मीटर होनी चाहिए और पौधों में परागण के लिए नर से मादा पौधों का अनुपात 1:5 रखा जाता है. यदि जमीन की अधिकता है, तो यह अनुपात 1:9 का भी रख सकते हैं.
Bu hikaye Farm and Food dergisinin September First 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Farm and Food dergisinin September First 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?
मक्का की नई हाईब्रिड किस्म एचक्यूपीएम-28
हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल ने चारे के लिए अधिक पैदावार देने वाली उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन मक्का (एचक्यूपीएम) की संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 विकसित की है.
लाख का बढ़ेगा उत्पादन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत में लाख का उत्पादन मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय द्वारा किया जाता है.
धान की कटाई से भंडारण तक की तकनीकी
धान उत्पादन की दृष्टि से भारत दुनिया में सब से बड़े देशों में गिना जाता है.