नाम में क्या रखा है!
Aha Zindagi|August 2024
पश्चिम ने नाम को नगण्य माना, परंतु पूर्व ने नाम को शिरोधार्य रखने की वस्तु बनाया। नामकरण को उत्सव बनाया और नाम को सोच-विचारकर शृंगार की तरह धरा। नाम की बड़ी महिमा है। नाम लोक प्रदत्त प्रथम निधि है, यह कुल का वह प्रतीक है जिसका संग मृत्युशय्या तक होता है। अच्छा नाम देहदहन के पश्चात भी लोक में रह जाता है और बुरा नाम शरीर से पहले ही मिट जाता है।
रोहित चेडवाल
नाम में क्या रखा है!

पश्चिम के एक मूर्धन्य नाटककार की प्रसिद्ध उक्ति है कि नाम में क्या रखा है!

किंतु, हमारे यहां नाम की बड़ी महिमा है। नामकरण एक आवश्यक संस्कार है। जब किसी नवजात का नाम रखा जाता था तो ग्यारहवें अथवा बारहवें दिन उत्सव मनाकर नामकरण किया जाता था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार चारों दशरथ पुत्रों का नामकरण जन्म से बारहवें दिन किया गया था। नाम भविष्य निर्माता माना गया। नाम का मनुष्य के व्यक्तित्व तथा कर्म पर प्रभाव होता है, यह शास्त्रोक्त कथन है। महर्षि पतंजलि का सुझाव है कि जातक का नाम प्रारंभ की तीन पीढ़ियों के नाम का स्मारक हो तथा वह सुप्रतिष्ठित भी हो।

यथा नाम तथा गुण की उक्ति हमारे यहां अतिप्रसिद्ध है लिहाज़ा, पूर्व में नाम भगवान के नाम पर बहुधा रखे जाते थे। श्याम, नारायण, राम, मोहन, शिव, कृष्ण, देवी, देव आदि को किसी भी संज्ञा के साथ जोड़कर अनेकानेक नाम गिने जा सकते हैं। ईश और इंद्र प्रत्यय से सुनाम माला तैयार हो जाती है।

नाम माहात्म्य के अनेक प्रसंग हमारी संस्कृति में हैं। अजामिल कथा में संत-महात्माओं के कहे अनुसार अजामिल ने अपने पुत्र का नाम नारायण रखा और अंत समय में मृत्यु को आसन्न देख अपने पुत्र नारायण को पुकारने लगा। इन अंतिम क्षणों में भगवनाम से अजामिल का उद्धार हो गया।

भारत में जातक के चिह्न, रंग, रूप, कुंडली, ग्रह दशा, नक्षत्र आदि देखकर नाम रखने का चलन रहा। कृष्ण का नामकरण उनके श्याम वर्ण से हुआ, पिता वसुदेव से वासुदेव कहलाए, गोपालक के रूप में गोपाल बने और गिरिराज गोवर्धन को अपनी कनिष्ठा पर धारण करने से गिरिराजधरण और गोवर्धनधारी कहाए । महाज्ञानी अष्टावक्र को उनके पिता कहोड़ शाप दिया था कि वे आठ स्थानों से वक्र यानी टेढ़े जन्म लेंगे और इसी से उन्हें नाम मिला अष्टावक्र।

Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin August 2024 sayısından alınmıştır.

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पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
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सदियों के शहर में आठ पहर
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सदियों के शहर में आठ पहर

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एक वीगन का खानपान
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एक वीगन का खानपान

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November 2024
सदा दिवाली आपकी...
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November 2024
'मां' की गोद भी मिले
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'मां' की गोद भी मिले

बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।

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November 2024