ऐसी भी क्या जल्दी है
Aha Zindagi|August 2024
सड़क पर कोई गाड़ी आंधी की रफ़्तार से बग़ल से गुजरे तो सहसा मुंह से यही निकलता है कि भई ... जो दूसरों की जान जोखिम में डाल दे? इसलिए, थोड़ा ठहरिए और जानिए कि जल्दबाज़ी इस युग में क्यों बन गई है बीमारी।
ज्योत्सा पंत श्रीवास्तव
ऐसी भी क्या जल्दी है

तेज़ी से आगे बढ़ती हाइपरकनेक्टेड दुनिया जहां तुरंत काम करने को सराहा जाता है में क्या ज़रूरी है और क्या नहीं को 'अर्जेंसी कल्चर' जैसी हड़बड़ी की दौड़ ने धुंधला कर दिया है। समय से लड़ती एक लंबी और थकानभरी दौड़ से अधिक ये कुछ नहीं।

आसान करने चले थे, मुश्किल होते गए

आज तकनीकी विकास ने बहुत-सी चीज़ों को आसान तो किया है पर फिर भी हमारा आराम भी छीन लिया है। स्मार्टफोन से कभी भी, कहीं भी होता संवाद, वेब ब्राउज़र पर चुटकियों में मिलते सवालों के जवाब, चौबीसों घंटे की उपलब्धता ने इंसान व्यक्तिगत जीवन और काम के बीच की दूरी को मिटा दिया है। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा 2020 में एक सर्वे में पता चला है कि लगभग 50 फ़ीसदी कर्मचारियों को उनके नियमित काम के घंटों के बाद भी काम से संचार का जवाब देना पड़ता है, जिसके चलते वे काम से पूरी तरह बाहर आ ही नहीं पाते। वहीं एसोसिएशन की 2023 की अन्य रिपोर्ट में एक-चौथाई वयस्क तनाव के उच्च स्तर को महसूस कर रहे हैं, जो 2019 से 19 प्रतिशत बढ़ा है।

अरे भई! थोड़ा अर्जेंट है क्या करें

जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है अर्जेंसी यानी अत्यावश्यकता, कोई भी काम जो सबसे पहले किया जाना चाहिए। हैरानी की बात तो यह है कि आज हमारा हर काम इस शब्द के इर्द-गिर्द घूमता नज़र आता है। आमतौर पर दो भागों में बंटे काम या तो 'अत्यावश्यक' होते हैं या फिर 'महत्वपूर्ण'। अत्यावश्यक काम यानी वह जिसका तुरंत किया जाना ज़रूरी है और महत्वपूर्ण वे जिन्हें थोड़ा समय निकालकर किया जा सकता है। लेकिन अब तो एक नए सामाजिक मानदंड के रूप में हर काम को अर्जेंट बना दिया गया है, हम निरंतर व्यस्तता, त्वरित प्रतिक्रिया, तत्काल परिणामों और तत्परता के आधार पर काम की महत्ता आंकने लगे हैं। हमारी नज़र में तेज़ यानी बेहतर है और धीमा यानी अकुशल या आलस्य से भरा । वर्तमान में कई कार्यस्थलों में लंबे समय तक बिना रुके काम करने को समर्पण और सफलता के संकेतक के रूप में देखा जाता है।

टाइप ए और टाइप बी पैटर्न

Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin August 2024 sayısından alınmıştır.

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अंतरिक्ष केंद्र सतीश धवन
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अंतरिक्ष केंद्र सतीश धवन

श्रीहरिकोटा स्थित उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र का नाम जिनके नाम पर 'सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र' है, वे सही मायनों में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के केंद्र रहे हैं।

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September 2024
हरी-हरी धरती पर हर
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हरी-हरी धरती पर हर

वर्षा की विदाई वेला है। नदियों का कलकल निनाद गूंज रहा है, धरती ने हरीतिमा की चादर ओढ़ रखी है, प्रकृति का हर हिस्सा खिला-खिला, मुस्कराता-सा लग रहा है।

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September 2024
गजानन सुख कानन
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गजानन सुख कानन

भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी श्रीगणेश के आगमन की पुण्यमय तिथि है। देव अपना लोक छोड़ मर्त्य मानवों के निवास में उन्हें तारने आ बैठते हैं।

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September 2024
जब मंदिर में उतर आता है चांद
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जब मंदिर में उतर आता है चांद

यायावर के सफ़र में तयशुदा गंतव्य तो उसका पसंदीदा होता ही है, राह के औचक पड़ाव भी कोई कम मोहक नहीं होते। बस, दरकार होती है एक खुले दिल और उत्सुक नज़र की। महाराष्ट्र के फलटण से खिद्रापुर के बीच की दूरी यात्रा की परिणति से पहले के छोटे-छोटे आनंद को संजोए हुए है इस बार की यायावरी।

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6 dak  |
September 2024
भावनाओं के क़ैदी...
Aha Zindagi

भावनाओं के क़ैदी...

भावनाएं और तर्क हमारे व्यक्तित्व के दो अहम हिस्से हैं और दोनों ही ज़रूरी हैं। लेकिन कभी भावनाएं प्रबल हो जाती हैं तो तार्किक बुद्धि मौन हो जाती है। इसके चलते तनाव बेतहाशा बढ़ जाता है, आवेग में निर्णय ले लिए जाते हैं और फिर अक्सर पछताना ही पड़ता है। यही 'इमोशनली हाईजैक' होना है। जीवन का सुकून इससे उबरने की हमारी क्षमता पर निर्भर करता है।

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September 2024
मेरा वो मतलब नहीं था!
Aha Zindagi

मेरा वो मतलब नहीं था!

हमारे शब्द सामने वाले को चोट पहुंचा जाते हैं, फिर हम माफ़ी मांगते हुए सफाई देते हैं कि हमारा वह इरादा नहीं था। सवाल उठता है कि अगर इरादा नहीं था तो फिर वैसे शब्द मुंह से निकले कैसे?

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September 2024
...जहां चाह वहां हिंदी की राह
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...जहां चाह वहां हिंदी की राह

भाषा के मामले में असल चीजें हैं प्रवाह और प्रयोग...हिंदी शब्द समझने में सरल होंगे, अर्थ को ध्वनित करेंगे, और उनका नियमित प्रयोग होगा तो किसी भी क्षेत्र में अंग्रेज़ी शब्दों की घुसपैठ के लिए कोई बहाना ही नहीं बचेगा...

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September 2024
हिंदी के ज्ञान से सरल विज्ञान
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हिंदी के ज्ञान से सरल विज्ञान

पहले हमने दुनिया को विज्ञान का ज्ञान दिया और अब खुद एक विदेशी भाषा में विज्ञान पढ़ रहे हैं। इस बीच आख़िर हुआ क्या? विज्ञान आगे बढ़ गया और हिंदी पीछे रह गई या फिर हमने अपनी भाषा की क्षमता को जाने बग़ैर ही उसे अक्षम मान लिया?

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September 2024
फिल्म नगरिया की भाषा
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फिल्म नगरिया की भाषा

कितनी अजीब बात है कि हिंदी फिल्म उद्योग की भाषा हिंदी नहीं है। हिंदी फिल्मों में शुद्ध हिंदी का मज़ाक़ बनाया जाता है। सेट पर बातचीत अंग्रेज़ी में होती है, पटकथा अंग्रेज़ी में लिखी जाती है और संवाद रोमन में। हिंदी फिल्मों से करोड़ों कमाने वाले सितारे हिंदी बोलने में हेठी देखते हैं। हालांकि इस घटाटोप के बीच अब आशा की कुछ किरणें चमकने लगी हैं...

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September 2024
हिंदी किताबों में हिंदी
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हिंदी किताबों में हिंदी

कोई बोली, भाषा बनती है जब वह लिखी जाती है, उसमें साहित्य रचा जाता है और विविध विषयों पर किताबें छपती हैं। पुस्तकों में भाषा का सुघड़ रूप होता है। हिंदी भाषा की विडंबना है कि उसकी किताबों में अंग्रेज़ी शब्दों की आमद बढ़ती जा रही है। कुछ को यह ज़रूरी लगती है तो बहुतों को किरकिरी। सबके अपने तर्क हैं। 14 सितंबर को हिंदी दिवस के अवसर पर आमुख कथा का पहला लेख इस अहम मुद्दे पर पड़ताल कर रहा है कि हिंदी किताबों में हिंदी क्यों घटती जा रही है?

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September 2024