सोने जैसे कुनबे के तीन रतनों में एक
देश के प्रतिष्ठित, भरोसेमंद टाटा समूह की विरासत संभालने वाले रतन टाटा पारिवारिक संस्कारों और नवाचारी विचारों के बल पर सुयोग्य उत्तराधिकारी सिद्ध हुए।
28 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर जन्मे रतन टाटा समूह की स्थापना करने वाले जमशेतजी टाटा के परपोते थे। रतन 10 साल के थे, तभी उनके माता-पिता अलग हो गए। उस समय रतन के छोटे भाई जिमी महज पांच बरस के थे। ऐसे मौक़े पर इस प्रतिष्ठित पारसी परिवार को थामने के लिए खुलकर सामने आई दादी नवाजबाई, जिन्हें पति के नाम पर 'लेडी रतन टाटा' भी कहा जाता है। नवाजबाई एक सख्त अनुशासनप्रिय महिला थीं। उन्होंने अपना बचपन इंग्लैंड और बाद में फ्रांस में बिताया था। उन्होंने अपने घर टाटा पैलेस में उच्च मानक स्थापित किए थे। दादी की यादों में खोते हुए रतन टाटा ने एक बार कहा था कि वे कमाल की महिला थीं। उनके पास इंग्लैंड और भारत में निवास के अनुभवों का अकूत ख़ज़ाना था। मैंने उन्हीं से सम्मान के साथ जीने, वादे निभाने और विश्वसनीय बनने का सबक सीखा।' माता-पिता के तलाक़ के 10 साल बाद जब रतन 18 साल के थे, उनके पिता ने सिमोन से दूसरी शादी की। इस दंपती की संतान है, नोएल टाटा यानी रतन के सौतेले भाई। रतन टाटा की सगी मां ने भी सर जमशेतजी जीजीभोय से पुनर्विवाह कर लिया। दादी की तरह मां से भी रतन टाटा ख़ूब प्यार करते थे। उन्होंने कहा है कि वे मेरी मां से ज़्यादा मित्र थीं। है कि मां को कैंसर हुआ तो रतन टाटा ने न्यूयॉर्क में उनके उपचार के समय उनकी ख़ूब सेवा की।
दादी ने सिखाया हिम्मत का सलीक़ा
Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin December 2024 sayısından alınmıştır.
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कथाएं चार, सबक़ अपार
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बाल गीतों में दादा कहकर संबोधित किया जाने वाला हाथी सचमुच इतना शक्तिशाली होता है कि बाघ और बब्बर शेर तक उससे घबराते हैं। बावजूद इसके यह किसी पर भी यूं ही आक्रमण नहीं कर देता, बल्कि अपनी देहभाषा के ज़रिए उसे दूर रहने की चेतावनी देता है। जानिए, संस्कृत में हस्ती कहलाने वाले इस अलबेले पशु की अनूठी हस्ती के बारे में।
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साल समाप्त होने को है, किंतु उसकी स्मृतियां संचित हो गई हैं। अवचेतन में ऐसे न जाने कितने वर्ष पड़े हुए हैं। विगत के इस बोझ तले वर्तमान में जीवन रह ही नहीं गया है। वर्ष की विदाई के साथ अब वक़्त उस बोझ को अलविदा कह देने का है।
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सर्दियों में हमें गुनगुनी गर्माहट की ज़रूरत तो होती है, परंतु इसके लिए कृत्रिम साधनों के प्रयोग के चलते धरती का ताप भी बढ़ने लगता है। यह अंतत: इंसानों और पेड़-पौधों सहित सभी जीवों के लिए घातक है। अब विकल्प हमें चुनना है: जीवन ज़्यादा ज़रूरी है या फ़ैशन और बटन दबाते ही मिलने वाली सुविधाएं?
उज्ज्वल निर्मल रतन
रतन टाटा देशवासियों के लिए क्या थे इसकी एक झलक मिली सोशल मीडिया पर, जब अक्टूबर में उनके निधन के बाद हर ख़ास और आम उन्हें बराबर आत्मीयता से याद कर रहा था। रतन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और महज़ दो माह पहले ही उनके बारे में काफ़ी कुछ लिखा भी गया। बावजूद इसके बहुत कुछ लिखा जाना रह गया, और जो लिखा गया वह भी बार-बार पढ़ने योग्य है। इसलिए उनके जयंती माह में पढ़िए उनकी ज़िंदगी की प्रेरक किताब। रतन टाटा के समूचे जीवन को चार मूल्यवान शब्दों की कहानी में पिरो सकते हैं: परिवार, पुरुषार्थ, प्यार और प्रेरणा। उन्हें नमन करते हुए, आइए, उनकी बड़ी-सी ज़िंदगी को इस छोटी-सी किताब में गुनते हैं।