विशिष्ट है यह किरण
Aha Zindagi|August 2024
विज्ञान की एक अनोखी खोज जो कैंसर के जन्म का कारण भी बनी और कैंसर निवारक भी। कभी जादू कहलाकर इंसान के भीतर झांकने वाली ऊर्जा विकिरण की यह तकनीक कैसे प्राणघातक होते हुए भी जीवनदायिनी बनी, जानिए इस बार आगामी अतीत में।
सुभाष वर्मा
विशिष्ट है यह किरण

सन 1895 में जब एक्स-रे की खोज हुई तब लोगों को लगा कि उन्होंने दुनिया की उस शक्ति को खोज लियो है जो किसी भी मनुष्य के अंदर झांक सकती है, और आंतरिक गतिविधियों को एक फिल्म पर उतार सकती है। कुछ ही समय में एक्स-रे की खोज चिकित्सा विज्ञान के लिए वरदान साबित हुई। आज आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का एक बड़ा हिस्सा है। एक्स-रे टेक्नोलॉजी पर टिका हुआ है।

उस समय लोगों में शरीर के अंदर झांकने की इस प्रक्रिया को लेकर इतनी ज्यादा उत्सुकता थी कि लोग अपने जूतों तक का साइज़ नापने के लिए एक्स-रे करवाते थे। मेलों में जादुई मशीन लगी होती थी, यह जानने के लिए नहीं कि आप क्या साथ लेकर जा रहे हैं बल्कि यह बताने के लिए कि आपके पास क्या हैं, हम एक जादुई मशीन से बता सकते हैं। यह एक्स-रे मशीन उस वक़्त लोगों को चकित करती थी। लोग अपने छोटे बच्चों का एक्स-रे सिर्फ़ इसलिए करवा लेते थे ताकि उसकी एक फोटो फ्रेम निकाल सके। मशीन से शरीर के अंदर झांकने यह प्रक्रिया अद्भुत तो थी मगर शरीर को इसकी क्या क़ीमत चुकानी पड़ेगी, यह तब पता चली, जब लोगों की त्वचा काली पड़ने लगी और चमड़ी उधड़ने लगी।

आज हम बात कर रहे हैं विकिरण की! यानी एक्स-रे और सीटी (Computed Tomography) मशीनों की, जो विकिरण पैदा करती हैं। क्या है विकिरण? साधारण शब्दों में विकिरण एक सघन ऊर्जा है, जिसे हम अक्सर तेज़ रोशनी भी कहते हैं जो आंखों से दिखाई नहीं देती। यही विकिरण हमारे एक्स-रे उतारता है।

विकिरण कहां, कब, कैसे?

सच कहें तो मानव विकास विकिरण के बिना संभव ही नहीं। मनुष्य का शारीरिक और मानसिक बदलाव विकिरण की ही बदौलत हो पाया। अर्थात, हम लगातार प्राकृतिक विकिरण के संपर्क में रह रहे हैं। शोध के अनुसार हमारा शरीर प्राकृतिक रूप के विकिरण के लिए हमेशा से तैयार रहा है और इसका हमारे शरीर पर कोई नुक़सान नहीं होता। इन्हें चंद बिंदुओं से समझा जा सकता है।

1) ब्रह्मांडीय विकिरण

धरती के आस-पास के ग्रहों और तारों से आने वाले विकिरण को ब्रह्मांडीय विकिरण कहा जाता है। ये धरती पर लगभग हर जगह मौजूद होते हैं।

2) धरती पर मौजूद विकिरण

Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin August 2024 sayısından alınmıştır.

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अन्न उपजाए अंग भी उगाए
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अन्न उपजाए अंग भी उगाए

बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।

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November 2024
इसे पढ़ने का फ़ैसला करें
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...और जीवन में ग़लत निर्णयों से बचने की प्रक्रिया सीखें। यह आपके हित में एक अच्छा निर्णय होगा, क्योंकि अच्छे फ़ैसले लेने की क्षमता ही सुखी, सफल और तनावरहित जीवन का आधार बनती है। इसके लिए जानिए कि दुविधा, अनिर्णय और ख़राब फ़ैसलों से कैसे बचा जाए...

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November 2024
जहां अकबर ने आराम फ़रमाया
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जहां अकबर ने आराम फ़रमाया

लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....

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November 2024
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
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पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा

अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।

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November 2024
चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श
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चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श

मर्म चिकित्सा आयुर्वेद की एक बिना औषधि वाली उपचार पद्धति है। यह सिखाती है कि महान स्वास्थ्य और ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, आपके भीतर ही है। इसे जगाने के लिए ही 107 मर्म बिंदुओं पर हल्का स्पर्श किया जाता है।

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November 2024
सदियों के शहर में आठ पहर
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सदियों के शहर में आठ पहर

क्या कभी ख़याल आया कि 'न्यू यॉर्क' है तो कहीं ओल्ड यॉर्क भी होगा? 1664 में एक अमेरिकी शहर का नाम ड्यूक ऑफ़ यॉर्क के नाम पर न्यू यॉर्क रखा गया। ये ड्यूक यानी शासक थे इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी के, जहां एक क़स्बानुमा शहर है- यॉर्क। इसी सदियों पुराने शहर में रेलगाड़ी से उतरते ही लेखिका को लगभग एक दिन में जो कुछ मिला, वह सब उन्होंने बयां कर दिया है। यानी एक मुकम्मल यायावरी!

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November 2024
... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई
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... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....

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November 2024
एक वीगन का खानपान
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एक वीगन का खानपान

अगर आप शाकाहारी हैं तो आप पहले ही 90 फ़ीसदी वीगन हैं। इन अर्थों में वीगन भोजन कोई अलग से अफ़लातूनी और अजूबी चीज़ नहीं। लेकिन एक शाकाहारी के नियमित खानपान का वह जो अमूमन 10 प्रतिशत हिस्सा है, उसे त्यागना इतना सहज नहीं । वह डेयरी पार्ट है। विशेषकर भारत के खानपान में उसका अतिशय महत्व है। वीगन होने की ऐसी ही चुनौतियों और बावजूद उनके वन होने की ज़रूरत पर यह अनुभवगत आलेख.... 1 नवंबर को विश्व वीगन दिवस के ख़ास मौके पर...

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November 2024
सदा दिवाली आपकी...
Aha Zindagi

सदा दिवाली आपकी...

दीपोत्सव के केंद्र में है दीप। अपने बाहरी संसार को जगमग करने के साथ एक दीप अपने अंदर भी जलाना है, ताकि अंतस आलोकित हो। जब भीतर का अंधकार भागेगा तो सारे भ्रम टूट जाएंगे, जागृति का प्रकाश फैलेगा और हर दिन दिवाली हो जाएगी।

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November 2024
'मां' की गोद भी मिले
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'मां' की गोद भी मिले

बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।

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November 2024