नौ रूपों में नारी जीवन
Aha Zindagi|October 2024
देवी के नौ रूपों में नारी के वे सद्गुण परिलक्षित होते हैं जिनके कारण स्त्री को देवी माना गया है। इन्हीं नौ रूपों में एक स्त्री के जन्म से अंत तक के सारे रूप अभिव्यक्त होते हैं। इस तरह नवरात्र में नवदुर्गा के रूप में लोक नारी की संपूर्ण जीवनयात्रा को ही नमन करता है।
डॉ. विवेक चौरसिया
नौ रूपों में नारी जीवन

सनातन संस्कृति शक्ति की आराधक है और नवरात्र शक्ति आराधना का महापर्व है। यह अद्भुत है कि राम, कृष्ण, शिव आदि देवताओं के प्राकट्य दिवस या विवाह के पर्व एक दिवसीय हैं, किंतु शक्ति की उपासना के लिए पूरे नौ दिन निर्धारित हैं। यह संकेत है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने इसके माध्यम से सृष्टि के जन्म से लेकर संचालन और संस्कार तक में शक्ति अर्थात स्त्री को कितनी महत्ता दी है। पुरुष देवता अधिकतम चतुर्भुज हैं, लेकिन शक्ति की प्रतीक देवी अष्टभुजाधारी हैं। यह पुरुष की अपेक्षा स्त्री के दोगुने सामर्थ्य का प्रतीक है। जन्म, जीवन और जगत के उत्थान, उन्नति और उत्कर्ष के लिए हम सब स्त्री पर ही निर्भर हैं।

अतः जगत की स्त्री-मात्र पूज्य हैं, क्योंकि वे शक्ति की प्रतिनिधि हैं। इस अर्थ में नवरात्र शक्ति उपासना के रूप में संसार की प्रत्येक स्त्री के प्रति, उसके हर रूप के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का महापर्व है।

हिंदू पंचांग में प्रमुख रूप से चार नवरात्र की गणना है जिनका संबंध धर्म और आचरण के साथ विशुद्ध रूप से संयम और स्वास्थ्य से है। ये चारों नवरात्र एक ऋतु से दूसरी ऋतु के परिवर्तन के बीच संधिकाल में तय किए गए हैं, ताकि हम लोग नवरात्र के बहाने तप, संयम, सदाचार और आहार का अनुशासन पालकर अपने आरोग्य को सुनिश्चित कर सकें। आरोग्य की शक्ति ही प्रकारांतर से शक्ति की उपासना और उपासना से प्राप्त सुफल मानी गई है।

एक वर्ष में आने वाले चार नवरात्र में दो गुप्त होकर कठोर तपस्वियों के लिए निर्धारित हैं, जबकि शेष दो लोक के लिए हैं। इनमें ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभिक काल का नवरात्र वासंतिक नवरात्र है और शीत ऋतु के प्रारंभिक काल का नवरात्र शारदीय नवरात्र है। इन दोनों में भी शारदीय नवरात्र की लोक में सर्वोच्च प्रतिष्ठा है, क्योंकि इसके समापन के ठीक अगले दिन विजयादशमी का महापर्व आता है। शाक्त मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने शक्ति की आराधना करके ही प्राप्त आशीर्वाद से दुष्ट रावण का वध किया था। इस प्रकार यह पर्व तप और उपासना से प्राप्त शक्ति का सदुपयोग दुष्टों के नाश और सज्जनों के संरक्षण का संदेश प्रसारित करता हुआ हर वर्ष आता है।

Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin October 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin October 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

AHA ZINDAGI DERGISINDEN DAHA FAZLA HIKAYETümünü görüntüle
अन्न उपजाए अंग भी उगाए
Aha Zindagi

अन्न उपजाए अंग भी उगाए

बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।

time-read
7 dak  |
November 2024
इसे पढ़ने का फ़ैसला करें
Aha Zindagi

इसे पढ़ने का फ़ैसला करें

...और जीवन में ग़लत निर्णयों से बचने की प्रक्रिया सीखें। यह आपके हित में एक अच्छा निर्णय होगा, क्योंकि अच्छे फ़ैसले लेने की क्षमता ही सुखी, सफल और तनावरहित जीवन का आधार बनती है। इसके लिए जानिए कि दुविधा, अनिर्णय और ख़राब फ़ैसलों से कैसे बचा जाए...

time-read
5 dak  |
November 2024
जहां अकबर ने आराम फ़रमाया
Aha Zindagi

जहां अकबर ने आराम फ़रमाया

लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....

time-read
8 dak  |
November 2024
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
Aha Zindagi

पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा

अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।

time-read
3 dak  |
November 2024
चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श
Aha Zindagi

चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श

मर्म चिकित्सा आयुर्वेद की एक बिना औषधि वाली उपचार पद्धति है। यह सिखाती है कि महान स्वास्थ्य और ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, आपके भीतर ही है। इसे जगाने के लिए ही 107 मर्म बिंदुओं पर हल्का स्पर्श किया जाता है।

time-read
3 dak  |
November 2024
सदियों के शहर में आठ पहर
Aha Zindagi

सदियों के शहर में आठ पहर

क्या कभी ख़याल आया कि 'न्यू यॉर्क' है तो कहीं ओल्ड यॉर्क भी होगा? 1664 में एक अमेरिकी शहर का नाम ड्यूक ऑफ़ यॉर्क के नाम पर न्यू यॉर्क रखा गया। ये ड्यूक यानी शासक थे इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी के, जहां एक क़स्बानुमा शहर है- यॉर्क। इसी सदियों पुराने शहर में रेलगाड़ी से उतरते ही लेखिका को लगभग एक दिन में जो कुछ मिला, वह सब उन्होंने बयां कर दिया है। यानी एक मुकम्मल यायावरी!

time-read
7 dak  |
November 2024
... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई
Aha Zindagi

... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....

time-read
7 dak  |
November 2024
एक वीगन का खानपान
Aha Zindagi

एक वीगन का खानपान

अगर आप शाकाहारी हैं तो आप पहले ही 90 फ़ीसदी वीगन हैं। इन अर्थों में वीगन भोजन कोई अलग से अफ़लातूनी और अजूबी चीज़ नहीं। लेकिन एक शाकाहारी के नियमित खानपान का वह जो अमूमन 10 प्रतिशत हिस्सा है, उसे त्यागना इतना सहज नहीं । वह डेयरी पार्ट है। विशेषकर भारत के खानपान में उसका अतिशय महत्व है। वीगन होने की ऐसी ही चुनौतियों और बावजूद उनके वन होने की ज़रूरत पर यह अनुभवगत आलेख.... 1 नवंबर को विश्व वीगन दिवस के ख़ास मौके पर...

time-read
6 dak  |
November 2024
सदा दिवाली आपकी...
Aha Zindagi

सदा दिवाली आपकी...

दीपोत्सव के केंद्र में है दीप। अपने बाहरी संसार को जगमग करने के साथ एक दीप अपने अंदर भी जलाना है, ताकि अंतस आलोकित हो। जब भीतर का अंधकार भागेगा तो सारे भ्रम टूट जाएंगे, जागृति का प्रकाश फैलेगा और हर दिन दिवाली हो जाएगी।

time-read
3 dak  |
November 2024
'मां' की गोद भी मिले
Aha Zindagi

'मां' की गोद भी मिले

बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।

time-read
7 dak  |
November 2024